थाली की महंगाई में अबतक अनाज और दूध का ज्यादा योगदान था फिर आलू और प्याज इसमें शामिल हुए और अब दालों की महंगाई की शुरुआत हो गई है. आखिर दालों की इस महंगाई से कबतक निजात मिलेगी. चलिए जानने की कोशिश करते हैं. जानकारों का कहना है कि दालें खासकर तुअर, चना और उड़द की कीमतों को नियंत्रित करने के सरकार के कई उपायों के बावजूद इनके बढ़ते दाम चिंता का कारण बने हुए हैं. दालों की बढ़ती कीमतों के चलते पहले से ऊपर चल रही खाद्य महंगाई के और बढ़ने की आशंका जताई जाने लग गई हैं.
आंकड़ों की बात करें तो अप्रैल के दौरान दालों की महंगाई 16.8 फीसद थी. उस दौरान तुअर में 31.4 फीसद, चने में 14.6 फीसद और उड़द में 14.3 फीसद की महंगाई दर्ज की गई थी. जहां तक फूड बास्केट की बात है तो उसमें दालों का वैटेज 6 फीसद और ओवरआल कंज्यूमर बास्केट में दालों का वैटेज 2.4 फीसद है. मार्च की तुलना में अप्रैल में खाद्य महंगाई बढ़कर 8.7 फीसद के स्तर पर पहुंच गई है. मार्च में खाद्य महंगाई 8.5 फीसद पर थी.
विशेषज्ञों का कहना है कि नई फसल अक्टूबर के बाद आती है. पिछले साल तुअर का उत्पादन भी कम था, जिससे स्टॉक कम रहने की संभावना है. ऐसे में तुअर की कीमतों में तेजी बनी रहने की आशंका है. हालांकि मानसून की चाल कैसी रहती है. इसका असर दालों की महंगाई पर पड़ेगा. जानकारों के मुताबिक दालों की महंगाई बीते 11 महीने से डबल डिजिट में हैं और वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही के अंत तक इसके कम होने की उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर मानसून अनुकूल नहीं रहा तो आम लोगों को दालों की महंगाई से लंबे समय तक जूझना पड़ सकता है.
आल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सुरेश अग्रवाल के मुताबिक दालों खासकर तुअर और उड़द की अगली बुआई मानसून शुरू होने के बाद जून-जुलाई में शुरू होगी. उनका कहना है कि उड़द की कटाई अक्टूबर-नवंबर में होगी, जबकि तुअर की कटाई जनवरी से शुरू होगी. हालांकि उनका कहना है कि कुछ दालें खासकर मूंग की खेती रबी और खरीफ के बीच में होती है, लेकिन इनका उत्पादन इतना नहीं है कि इसका असर दालों की कीमतों पर कोई बड़ा असर डाल सके.
आकड़ों के मुताबिक बीते 2 साल से देश में तुअर और उड़द के उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है और यही वजह रही है कि जिससे सरकार को आयात प्रतिबंधों में ढील देनी पड़ी है. सरकार ने पिछले साल तुअर, उड़द और मसूर के आयात पर ड्यूटी शून्य कर दिया था और यह मार्च 2024 तक लागू थी. हालांकि सरकार ने बाद में इसकी समयसीमा को मार्च 2025 तक बढ़ा दिया है. इसके अलावा सरकार ने दिसंबर 2023 की शुरुआत में मार्च 2024 तक पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की भी अनुमति दी थी और इसको भी जून तक बढ़ा दिया गया था.