मौसम अनुकूल होने की वजह से इस साल देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है. विशेषज्ञों के मुताबिक अच्छे मौसम और जलवायु के अनुकूल किस्मों की बुआई ज्यादा होने की वजह से इस साल गेहूं का उत्पादन सरकार के द्वारा तय किए गए लक्ष्य 114 मिलियन टन से ज्यादा होने का अनुमान है. 2022-23 में 110.55 मिलियन टन गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज किया गया था.
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में गेहूं की फसल अब तक उत्कृष्ट स्थिति में है, कोई बीमारी नहीं है. गेहूं का रकबा पिछले साल से थोड़ा बढ़ा है और फसल की प्रगति भी बहुत अच्छी है. ऐसे अगर सब कुछ ठीक रहा तो हम आसानी से गेहूं उत्पादन के लक्ष्य को छू सकते हैं और शायद उससे ज्यादा भी उत्पादन हो सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि अभी तक चिंता की कोई बात नहीं है, लेकिन अनिश्चितता बनी हुई है क्योंकि तापमान में उतार-चढ़ाव लगातार बना हुआ है. उनका कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ और तापमान चिंता के लिए दो प्रमुख कारण हैं जिनपर कटाई शुरू होने तक नजर रखने की जरूरत है.
गौरतलब है कि पश्चिमी विक्षोभ की वजह से तूफान और बेमौसम भारी बारिश होती है, जिसके परिणामस्वरूप खेतों में पानी जमा हो जाता है. विशेषज्ञ इसे गेहूं के लिए काफी नुकसानदायक मानते हैं. दूसरी ओर मार्च के तीसरे और चौथे हफ्ते में उच्च तापमान को भी विशेषज्ञ गेहूं की पैदावार के लिए नकारात्मक मानते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक हालांकि 80 फीसद से ज्यादा क्षेत्र में जलवायु अनुकूल किस्म की खेती होने की वजह से लक्ष्य तक पहुंचने में ऐसी सभी चुनौतियों को पार करने को लेकर वह आश्वस्त हैं.
आंकड़ों के मुताबिक चालू रबी सीजन में 341.57 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई दर्ज की गई थी, जबकि 2022-23 में 339.20 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई थी. गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में गेहूं की बुआई 5 फीसद बढ़कर 102.40 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है. उत्तर प्रदेश में ज्यादा खेती होने से राजस्थान और महाराष्ट्र में कम बुआई की भरपाई होने में मदद मिली है. बिहार, पंजाब और हरियाणा में गेहूं का रकबा पिछले साल के आस-पास है.