देश में दालों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के मकसद से सरकार घरेलू आपूर्ति बढ़ाने पर जोर दे रही है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इसके लिए ब्राजील, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीकी देशों सहित कई दूसरे देशों से दालों का आयात किया जाएगा. इस सिलसिले में कई तरह की दालों पर आयात शुल्क भी हटाया गया है, जिससे घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा मिलेगा.
सूत्रों के मुताबिक वर्तमान में देश घरेलू मांग को पूरा करने के लिए काफी हद तक पर्याप्त है, हालांकि चुनिंदा किस्मों की दाल जैसे- अरहर, उड़द और मसूर के उत्पादन और खपत के मामले में थोड़ा अंतर देखने को मिल सकता है. इनकी कमी को पूरा करने के लिए दूसरे देशों से दाल खरीदी जा रही है. सरकार ने अरहर, उड़द (काली मटपे), मसूर (दाल), पीली मटर और बंगाल चना (देसी चना) पर आयात शुल्क हटा दिया है. यह रियायत वित्त वर्ष 2025 के अंत तक लागू रहेगी, जिससे घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
इन देशों से हो रही चर्चा
सरकारी सूत्रों के मुताबिक दालों के आयात पर अर्जेंटीना के साथ कई दौर की चर्चा हो चुकी है. इसके अलावा ब्राजील और भारत काफी समय से दाल क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं. नई दिल्ली में ब्राजील के दूतावास में मौजूद एंग्रीयो डी क्विरोज़ मौरिसियो का कहना है कि भारत में उड़द की खेती और हमारा निर्यात करने का हालिया निर्णय आशाजनक लग रहा है. बता दें पिछले साल तक भारत मसूर, तुअर, उड़द और मसूर का आयात ज्यादातर ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, म्यांमार, मोजाम्बिक, तंजानिया, सूडान और मलावी से करता था. हालांकि भारत ने दिसंबर, 2023 में पीली मटर पर आयात शुल्क समाप्त कर दिया जिसे चने के लिए रिप्लेस्ड किया जा सकता है.
मोजाम्बिक और मलावी के साथ भी समझौता
भारत ने पांच साल के लिए सालाना 0.2 मीट्रिक टन अरहर के आयात के लिए मोजाम्बिक के साथ एक समझौता किया था. बता दें 2016 में तुअर की खुदरा कीमतें 200 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गईं थी. इस समझौता ज्ञापन को सितंबर, 2021 में अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया था. इसके अलावा 2021 में भारत ने अगले पांच वर्षों के लिए प्रति वर्ष 50,000 टन अरहर के आयात के लिए मलावी के साथ एक समझौता किया था. समझौता ज्ञापन के तहत, भारत 2026 तक म्यांमार से 0.1 मीट्रिक टन तुअर और 0.25 मीट्रिक टन उड़द आयात करेगा.
दालों का बढ़ा आयात
मांग में वृद्धि और उत्पादन में अंतर होने के चलते भारत में दालों का आयात बढ़ गया है. पिछले वित्त वर्ष में रिकॉर्ड 4.65 मिलियन टन (एमटी) दाल आयात की गई, जो 2022-23 में 2.53 मिलियन टन से अधिक है. मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन न होने की वजह से खुदरा दालों की महंगाई पिछले कई महीनों से बढ़ी हुई है. अप्रैल 2024 में यह 16.84% दर्ज की गई, जबकि अरहर किस्म की दालों की कीमत में 31.42% की वृद्धि दर्ज की गई है.