भारतीय खाद्य मंत्रालय उठाव को बढ़ावा देने और खुदरा विक्रेताओं के स्तर पर अनाज की बाजार दरों को कम करने के लिए खुले बाजार बिक्री योजना (OMSS) के तहत ई-नीलामी के जरिए बेचे जाने वाले चावल के रिजर्व प्राइस में कमी पर विचार कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगर इस प्रस्ताव को मंत्रियों की समिति से मंजूरी मिल जाती है तो इसे अगले हफ्ते होने वाली नीलामी से लागू किया जाएगा.
कारोबारी सूत्रों के मुताबिक OMSS के तहत ई-नीलामी के जरिए बेचे जाने वाले चावल के रिजर्व प्राइस को मौजूदा 2,900 रुपए प्रति क्विंटल से घटाकर 2,600 रुपए प्रति क्विंटल किया जा सकता है. बता दें कि सरकार ने उठाव में सुधार के लिए पिछली बार अगस्त के मध्य में रिजर्व प्राइस को 3,100 रुपए प्रति क्विंटल से घटा दिया था. हाल ही में बोलीदाताओं को प्रति नीलामी न्यूनतम 1 टन तक बोली लगाने की अनुमति दी गई थी, जबकि पहले यह 10 टन था. इसके अलावा एक व्यापारी या मिलर द्वारा नीलामी में खरीदी जाने वाली अधिकतम मात्रा को दोगुना कर 2,000 टन कर दिया गया है.
सरकार के द्वारा इन कदमों के बावजूद भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के द्वारा ओएमएसएस के तहत ई नीलामी के जरिए बिक्री के लिए रखे गए 1.85 लाख टन चावल में से 10 जनवरी तक उठाव 7,000 टन था. बता दें कि 5 जुलाई को साप्ताहिक ई-नीलामी शुरू होने के बाद से अब तक एफसीआई ने ओएमएसएस के तहत 1.55 लाख टन चावल की बिक्री की है.
बता दें कि सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के शिपमेंट पर 20 जुलाई 2023 से प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही सेला (Parboiled) चावल के निर्यात पर लगी 20 फीसद एक्सपोर्ट टैक्स की शर्त को 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया है, पहले यह शर्त 16 अक्टूबर 2023 तक लागू थी. इसके अलावा सरकार ने हाल ही में बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी MEP को घटाकर 950 डॉलर प्रति टन कर दिया है. बता दें कि सितंबर 2022 से सरकार ने चावल के निर्यात पर पाबंदियों की शुरुआत की थी और शुरुआत टूटे हुए चावल (ब्रोकेन राइस) के निर्यात पर रोक से हुई थी.