सप्लाई में कमी, एथेनॉल उत्पादन के अतिरिक्त लाइवस्टॉक फीड कंपनियों और स्टार्च मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों जैसे पारंपरिक क्षेत्रों से मांग में बढ़ोतरी की वजह से अक्टूबर के बाद से मक्के की कीमतों में 25 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. दक्षिण के एक प्रमुख बाजार दावणगेरे में मक्के का मॉडल प्राइस अक्टूबर की शुरुआत में MSP के नीचे करीब 1,850 रुपए प्रति क्विंटल था. हालांकि बुधवार को भाव में 2,309 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर कारोबार होते हुए देखा गया. कारोबारियों का कहना है कि देशभर के अन्य बाजारों में मक्के की कीमतें ऊंची हैं और निकट भविष्य में भी इसमें तेजी रहने का अनुमान है. बता दें कि 2023-24 फसल सीजन के लिए मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,090 रुपए प्रति क्विंटल है.
कारोबारियों के मुताबिक मक्का के दाम बढ़ने की वजह से लाइवस्टॉक फीड की कीमतों पर असर पड़ेगा. उनका कहना है कि खरीफ मक्का की फसल खत्म हो चुकी है और आवक 25-27 फीसद कम है. गौरतलब है कि अनियमित मानसून की वजह से मक्के की फसल प्रभावित हुई थी. आवक में कमी वजह से मक्के की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. मक्के का फैक्ट्री डिलीवरी भाव 24,000-25,000 रुपए प्रति टन के बीच है, जबकि कुछ महीने पहले इसका भाव 21,000-22,000 रुपए प्रति टन था.
इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि सरकार की ओर से एथेनॉल उत्पादन के लिए मक्के के उपयोग की अनुमति दी है जिससे कारोबारी मक्के की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना को देखते हुए मक्के का स्टॉक कर रहे हैं. जानकारों का कहना है कि शॉर्ट टर्म में मक्के की मांग को पूरा करने के लिए इसके इंपोर्ट की अनुमति देने का भी आग्रह किया है. अक्टूबर 2023 के आखिर में जारी कृषि मंत्रालय के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक खरीफ मक्का का उत्पादन 22.48 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो कि पिछले साल के रिकॉर्ड 23.67 मिलियन टन से कम है.