लंबे रेशे वाले कपास को आयात शुल्क से छूट मिली
टर्की पक्षी के मांस और खाद्य अपशिष्ट से संबंधित आयात शुल्क भी 30 फीसद से घटाकर मंगलवार से पांच प्रतिशत कर दिया गया.
सरकार ने अधिक लंबे रेशे वाले कपास के आयात पर सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट दे दी है जबकि आयातित ब्लूबेरी, क्रैनबेरी और फ्रोजन टर्की (एक तरह की बत्तख) के निर्दिष्ट उत्पादों पर शुल्क में कटौती की है. वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना में ब्लूबेरी और क्रैनबेरी पर आयात शुल्क 30 फीसद से घटाकर कुछ मामलों में 10 फीसद और अन्य मामलों में पांच प्रतिशत कर दिया है. इसी तरह, टर्की पक्षी के मांस और खाद्य अपशिष्ट से संबंधित आयात शुल्क भी 30 फीसद से घटाकर मंगलवार से पांच प्रतिशत कर दिया गया.
अधिकारियों ने कहा कि फ्रोजन टर्की, विशिष्ट क्रैनबेरी एवं ब्लूबेरी और उनके प्रसंस्कृत उत्पादों पर शुल्क दर में यह बदलाव भारत और अमेरिका के बीच आपसी रूप से सहमत समाधान के बाद वाणिज्य विभाग की सिफारिशें लागू करने के लिए किया गया है. नांगिया एंडरसन इंडिया फर्म में सह निदेशक (अप्रत्यक्ष कर) खुशबू त्रिवेदी ने कहा कि पिछले विवादों को ध्यान में रखते हुए भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में जी20 शिखर सम्मेलन में हुए द्विपक्षीय समझौते के तहत केंद्र सरकार ने इन उत्पादों पर आयात शुल्क कम कर दिया है.
त्रिवेदी ने कहा कि भारत में विरले ही पैदा होने वाली इन चीजों पर शुल्क में कटौती से अमेरिका को भारतीय बाजार में दस्तक देने में मदद मिलेगी और भारत में इन उत्पादों की कीमतें कम होंगी. इस कदम से डब्ल्यूटीओ का हिस्सा बनने वाले अन्य देशों को भी लाभ होगा. इसके अलावा मंत्रालय ने कपास उद्योग की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए ’32 मिलीमीटर से लंबे कपास, जो धुना या साफ न किया गया हो’ पर आयात शुल्क को घटाकर ‘शून्य’ कर दिया है. त्रिवेदी ने कहा कि यह निर्णय कपास उद्योग की चिंताओं का ध्यान रखने और आयात नियमों को उसके हिसाब से ढालने की सरकार की मंशा को दर्शाता है. इससे संभावित रूप से कपास क्षेत्र में शामिल हितधारकों को लाभ होगा.