कम बरसात ने बढ़ा दी मनरेगा की मांग

काम की मांग बढ़ने से मनरेगा के ऊपर खर्च में बढ़ोतरी दर्ज की गई

कम बरसात ने बढ़ा दी मनरेगा की मांग

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा के तहत काम मांगने वालों की संख्या चालू वित्त वर्ष में मानसून सीजन में तेज गति से बढ़ी है. हालांकि गर्मियों के प्रमुख महीने में काम की मांग धीमी रही है, जबकि इस दौरान मांग आमतौर पर ज्यादा रहती है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस साल अनियमित मानसून की बारिश की वजह से बड़े पैमाने पर ग्रामीण श्रमिक खेती नहीं कर सके, और जिसकी वजह से उनको मनरेगा के तहत काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा एकत्रित किए गए प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक जून तिमाही में मनरेगा के तहत काम मांगने वालों की संख्या में मामूली कमी दर्ज की गई थी. हालांकि एक साल पहले की तुलना में जुलाई और अक्टूबर के बीच काम की मांग हर महीने 9.5 फीसद से 19.5 फीसद की सीमा में बढ़ी है. काम की मांग बढ़ने से मनरेगा के ऊपर खर्च में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

अक्टूबर के महीने में काम मांगने वालों की संख्या में 17.8 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और इस दौरान 21.95 मिलियन लोगों ने काम की मांग की थी, जबकि एक साल पहले यह संख्या 18.64 मिलियन थी. इसी तरह अक्टूबर में 18.38 मिलियन परिवारों ने काम की मांग की थी, जो कि एक साल पहले की तुलना में 18.3 फीसद ज्यादा है. विशेषज्ञों के मुताबिक मनरेगा के तहत काम की मांग में बढ़ोतरी से कई संकेत मिलते हैं. उनका कहना है कि ग्रामीण इलाकों में एफएमसीजी कंपनियों की बिक्री में गिरावट और गैर टिकाऊ उत्पादन में कमी से संकेत मिलता है कि ग्रामीण इलाकों में उपभोग मांग को ठीक होने में अभी ज्यादा समय लगेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि मनरेगा जैसी जॉब स्कीम किसी भी ग्रामीण संकट से निपटने के लिए एक उपयोगी उपकरण है.

बता दें कि 2023 में देश में मानसून सीजन में सामान्य से कम बरसात दर्ज की गई थी. विशेषज्ञों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में अनियमित मानसून के अलावा औद्योगिक उत्पादन में गिरावट की वजह से कामगारों का एक बड़ा हिस्सा अर्थव्यवस्था के दूसरे क्षेत्रों पर निर्भर रहा है.

Published - November 3, 2023, 01:33 IST