घरेलू बाजार में मक्के का भाव ऊंचा होने की वजह से पाकिस्तान को फायदा हो रहा है. निर्यातकों और कारोबारियों का कहना है कि वैश्विक बाजार की तुलना में भारत में मक्के की कीमतें ज्यादा है. ऐसे में भारतीय बाजार में भाव ज्यादा होने का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान मक्के का निर्यात कर रहा है. गौरतलब है कि मक्के का उत्पादन कम होने के अनुमान, एथेनॉल उत्पादन के लिए, पोल्ट्री और स्टार्च इंडस्ट्री की ओर से मांग में बढ़ोतरी की वजह से भारतीय बाजार में मक्के के दाम ज्यादा हैं.
मक्के का उत्पादन कम रहने का अनुमान
कृषि मंत्रालय के मुताबिक खरीफ और रबी सीज़न के दौरान मक्के का उत्पादन पिछले फसल वर्ष के 35.36 मिलियन टन की तुलना में 32.47 मिलियन टन का अनुमान है. मक्के का उत्पादन खरीफ के साथ-साथ रबी सीजन में भी कम होने का अनुमान लगाया गया है. बता दें कि केंद्र सरकार के द्वारा एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के डायवर्जन पर प्रतिबंध लगाने से मक्के की मांग में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसके अतिरिक्त पोल्ट्री और स्टार्च सेक्टर से भी मक्के की मांग बढ़ी है. निर्यातकों का कहना है कि घरेलू बाजार में दाम ऊंचा होने की वजह से वैश्विक बाजार से भारतीय मक्का बाहर है. देश में मक्के का भाव फिलहाल करीब 2,150 रुपये प्रति क्विंटल के आस-पास कारोबार कर रहा है, जबकि वैश्विक बाजार में मक्के का भाव 260 डॉलर प्रति टन के आस-पास है.
जानकारों का कहना है कि भारत के वैश्विक मक्का बाजार से बाहर होने का सीधा फायदा पाकिस्तान को हो रहा है. पाकिस्तान वैश्विक बाजार में अपना मक्का 240-250 डॉलर प्रति टन के भाव पर बेच रहा है, जबकि भारतीय मक्के का दाम 300 डॉलर प्रति टन है. पिछले साल की तुलना में घरेलू बाजार में मक्के का भाव मौजूदा समय में 2,132 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर कारोबार कर रहा है. पिछले साल इस दौरान मक्के का भाव 2,039 रुपये प्रति क्विंटल था. इंटरनेशनल ग्रेन्स काउंसिल के मुताबिक अर्जेंटीना, अमेरिका और ब्राजील में मक्के के भाव में सालाना आधार पर 35 फीसद की गिरावट है. फिलहाल अर्जेंटीना, अमेरिका और ब्राजील में मक्के का भाव क्रमश: 188 डॉलर, 189 डॉलर और 191 डॉलर प्रति टन है.