सरकार और उद्योग के अधिकारियों ने बताया कि वित्त वर्ष 2024 में भारत का दाल आयात सालाना आधार पर 84 फीसद बढ़कर 6 साल में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. दरअसल, कम उत्पादन के कारण भारत सरकार ने लाल मसूर और पीली मटर के आयात को जून तक ड्यूटी फ्री कर दिया, जिसके चलते दाल आयात उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. पिछले दो-तीन वर्षों में देश में दलहन का उत्पादन घटा है, जिससे आयात लगातार बढ़ रहा है.
भारत में सबसे बड़े आयातकों में एक
दुनिया के सबसे बड़े दाल आयातक, उत्पादक और उपभोक्ता देश भारत द्वारा उच्च आयात से वैश्विक स्तर पर दाल की कीमतों को समर्थन मिल रहा है, और कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और म्यांमार जैसे निर्यातक देशों में स्टॉक कम करने में मदद मिल रही है. सरकार की ओर से किसानों को प्रोत्साहन देने के कई उपायों बावजूद आयातित दालों पर भारत की निर्भरता बनी हुई है.
इंपोर्ट टैक्स खत्म होने से दाल के आयात में बढ़ोतरी
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, नाम न छापने की शर्त पर एक सरकारी अधिकारी ने कुछ आंकड़े उपलब्ध कराए. इसके अनुसार, भारत को 31 मार्च, 2024 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में 4.65 मिलियन टन दालों की कमी हुई, जो वित्त वर्ष 2018 के बाद से सबसे अधिक है. उन्होंने बताया कि दाल का आयात 93 फीसद बढ़कर 3.74 अरब डॉलर हो गया. हालांकि आधिकारिक आंकड़े सामने नहीं आए हैं, लेकिन शिपमेंट्स से पता चलता है कि करीब 45 लाख टन दाल का आयात लिया गया है जो पिछले साल 24.5 लाख टन का था.
लाल मसूर का आयात दोगुना
पिछले साल लाल मसूर और पीली मटर के आयात में भारी उछाल देखने को मिला था. काले चने का आयात भी ज्यादा हुआ. सरकारी अधिकारी ने कहा कि सिख अलगाववादी नेता की हत्या पर राजनयिक तनाव के बावजूद कनाडा से भारत में लाल मसूर का आयात वर्ष में दोगुना से अधिक बढ़कर लगभग 1.2 मिलियन टन हो गया. कम उत्पादन और चुनाव से ठीक पहले दालों की कीमतें कम करने के लिए इंपोर्ट टैक्स को खत्म करने के सरकार के फैसले से आयात में बढ़ोतरी हुई है.
इन देशों से दाल का होता है आयात
हाल के महीनों में रूस और तुर्की से पीली मटर का आयात बढ़ रहा है. व्यापारियों ने बताया कि भारत ने उत्पादन में कमी की भरपाई करने के लिए अरहर और चने का भी आयात किया है. दक्षिण एशियाई देश आमतौर पर कनाडा, म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, मोज़ाम्बिक और तंजानिया से दालें आयात करते हैं.