वैश्विक बाजार में काली मिर्च की कीमतों में आई मौजूदा तेजी को देखते हुए भारतीय उत्पादकों को थोड़ी राहत मिलने की संभावना है. घरेलू उत्पादकों का कहना है कि वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से घरेलू बाजार में भाव और आयातित काली मिर्च की लागत एक समान हो गई है. खासकर वियतनाम जैसे देशों से काली मिर्च की इंपोर्ट करने की लागत और घरेलू भाव एक समान हो गए हैं. मौजूदा समय में काली मिर्च के फसल की कटाई और उत्पादन ज्यादा रहने के अनुमान के बीच भाव एक समान होने की वजह से देश में काली मिर्च के आयात में गिरावट आने की संभावना है.
विदेशी-घरेलू भाव एक समान
बता दें कि बीते एक साल में काली मिर्च की वैश्विक कीमत में बढ़ोतरी की वजह करीब 46 फीसद सीमा शुल्क के साथ वियतनाम से आयातित काली मिर्च की पहुंच लागत और घरेलू कीमत लगभग समान हो गई है. काली मिर्च उत्पादकों के मुताबिक यह पहली बार है कि जब घरेलू काली मिर्च के दाम अंतर्राष्ट्रीय कीमत के बराबर है और इसकी वजह से काली मिर्च के आयात में मंदी आ सकती है. भारतीय काली मिर्च उत्पादकों को सस्ते आयात से बचाने के लिए 2018 की शुरुआत से 500 रुपए प्रति किलोग्राम के न्यूनतम आयात मूल्य यानी एमआईपी की शर्त लगाई गई है.
घरेलू उत्पादकों का कहना है कि मौजूदा समय में काली मिर्च की घरेलू कीमत करीब 515-520 रुपए प्रति किलोग्राम है और वियतनाम से आने वाली काली मिर्च की लागत करीब 550 रुपए प्रति किलोग्राम है. उनका कहना है कि घरेलू बाजार के लिए काली मिर्च का आयात करना प्रतिस्पर्धी नहीं होगा. साथ ही अगर मौजूदा परिस्थितियां जारी रहती हैं तो भारत कुछ मात्रा में काली मिर्च का निर्यात भी करने में सक्षम हो सकता है. दरअसल, पिछले साल की तुलना में काली मिर्च की फसल ज्यादा होने का अनुमान है.