रिकॉर्ड उपज अनुमान के बावजूद इस साल सरकार ने गेहूं की सरकारी खरीद के लिए जो लक्ष्य रखा है, वह शायद पूरा न हो पाए. सरकारी खरीद की रफ्तार को देखते हुए लग रहा है कि खरीद लक्ष्य से पीछे रह सकती है. अबतक सरकारी एजेंसियों ने किसानों से करीब 236 लाख टन गेहूं की खरीद की है, जबकि खरीद का लक्ष्य 320 लाख टन है. पंजाब और हरियाणा में खरीद लगभग सामान्य है और जल्द खत्म होने के करीब भी है. वहीं मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में इस साल औसत से कम खरीद देखने को मिल रही है. इस वजह से लक्ष्य पूरा होने की संभावना घट गई है.
सोमवार तक 2024-25 रबी सीजन में करीब 238 लाख टन गेहूं की खरीद होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 245 लाख टन का था. बता दें कि रबी सीजन अक्टूबर से मार्च तक चलता है और खरीद अप्रैल से मई तक होती है. हालांकि केंद्र सरकार ने इस बार राज्यों को बाजार में फसल की आवक के आधार पर खरीद की अनुमति देने का फैसला किया है. गौरतलब है कि अधिकांश राज्यों में गेहूं की आवक मार्च के पहले पखवाड़े में शुरू हो जाती है.
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के आंकड़ों के मुताबिक सरकार ने इस सीजन में करीब 370 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है. हालांकि खाद्य और सार्वजनिक वितरण सचिव संजीव चोपड़ा बेहद खराब स्थिति में गेहूं की सरकारी खरीद 260 लाख टन हो सकती है, जो कि एनएफएसए (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम) की 180-200 लाख टन की जरूरत और 140 लाख टन के मार्केट इंटरवेंशन को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा. उनका कहना है कि सरकार के पास 80 लाख टन का ओपनिंग बैलेंस था. बता दें कि 1 अप्रैल के 74.6 लाख टन के बफर मानक के मुकाबले मौजूदा समय में करीब 199 लाख टन गेहूं केंद्रीय पूल में उपलब्ध है.