गेहूं का सरकारी स्टॉक 7 साल के निचले स्तर पर

स्टॉक में गिरावट की वजह से गेहूं आयात की संभावना और बढ़ी

गेहूं का सरकारी स्टॉक 7 साल के निचले स्तर पर

गेहूं की महंगाई को काबू में करने के लिए सरकार की तरफ से खुले बाजार में बढ़ाई गई गेहूं की बिक्री का असर सरकार के गेहूं स्टॉक पर पड़ा है. रिपोर्ट के मुताबिक पहली दिसंबर के केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 190 लाख टन तक पहुंच गया है जो दिसंबर की शुरुआत में 7 साल का सबसे कम स्टॉक है. गेहूं के स्टॉक में ऐसे समय पर गिरावट आई है, जब देश में गेहूं की खेती पिछले साल के मुकाबले पिछड़ी हुई है. 8 दिसंबर तक देशभर में गेहूं का कुल रकबा करीब 249 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जबकि पिछले साल इस दौरान 251 लाख हेक्टेयर से ज्यादा में खेती हो चुकी थी.

स्टॉक में गिरावट की वजह से देश में गेहूं आयात की संभावना और मजबूत हो गई है. वहीं आटा मिलें अपने परिचालन को जारी रखने के लिए भारतीय खाद्य निगम द्वारा की जा रही नीलामी से गेहूं की खरीदारी कर रही हैं. गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी पर लगाम लगाने के लिए खुले बाजार में ज्यादा मात्रा में गेहूं बेचने के सरकार के कदम के बाद भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास रखा स्टॉक अगले वित्त वर्ष की शुरुआत तक बफर के लिए जितनी जरूरत होती है उसके नीचे पहुंच सकता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत बिक्री के लिए स्वीकृत 10 मिलियन टन के अतिरिक्त 2.5 मिलियन टन के अतिरिक्त आवंटन के साथ एफसीआई के पास गेहूं का स्टॉक 1 अप्रैल तक 7.48 मिलियन टन के बफर से नीचे पहुंच सकता है. एफसीआई ने चालू वित्त वर्ष में जून के बाद से साप्ताहिक ई-नीलामी के जरिए अपने स्टॉक से 4.46 मिलियन टन गेहूं की बिक्री की है और 20 दिसंबर से ई-नीलामी के लिए गेहूं का साप्ताहिक आवंटन 0.4 मिलियन टन तक बढ़ा दिया गया है.

Published - December 11, 2023, 03:58 IST