सरकार ने छह निर्दिष्ट सीमा शुल्क केंद्रों के माध्यम से 1,000 टन तक काला नमक चावल की किस्म के निर्यात पर शुल्क हटा दिया है. अभी तक काला नमक चावल के निर्यात पर 20 फीसद शुल्क लागू था. वित्त मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार चावल की इस किस्म के 1,000 टन तक के निर्यात पर शुल्क छूट बुधवार से प्रभावी होगी. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने मंगलवार को निर्दिष्ट सीमा शुल्क केंद्रों के माध्यम से 1,000 टन तक काला नमक चावल के निर्यात की अनुमति दी थी.
6 सीमा शुल्क केंद्र के जरिए निर्यात की अनुमति
काला नमक गैर-बासमती चावल की एक किस्म है, जिसके निर्यात पर पहले प्रतिबंध था. चावल की इस किस्म के निर्यात को छह सीमा शुल्क केंद्रों के माध्यम से अनुमति दी गई है. ये केंद्र वाराणसी एयर कार्गो; जेएनसीएच (जवाहरलाल नेहरू कस्टम्स हाउस), महाराष्ट्र; सीएच (कस्टम हाउस) कांडला, गुजरात; एलसीएस (भूमि सीमा शुल्क स्टेशन) नेपालगंज रोड; एलसीएस सोनौली; एवं एलसीएस बरहनी हैं.
उचित दाम नहीं मिलने की वजह से किसान थे असंतुष्ट
बता दें कि काला नमक का उचित भाव नहीं मिलने की वजह से किसानों में व्याप्त असंतोष के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने निर्यात पर लगी पाबंदियों में छूट की मांग के बाद खाद्य मंत्रालय की ओर से इस मुद्दे को उठाया गया था. कारोबारियों के मुताबिक 2021-22 में 21 टन कालानमक चावल का निर्यात दर्ज किया गया था. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के 11 जिलों बहराइच, बलरामपुर, बस्ती, देवरिया, गोंडा, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, संतकबीरनगर, श्रावस्ती और सिद्धार्थनगर में कालानमक धान की बुआई की जाती है.
बता दें कि काला नमक चावल को अपनी खासियत की वजह से जीआई टैग मिला हुआ है. केंद्र सरकार की ओर से साल 2022 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान यानी IARI द्वारा विकसित की गई पूसा नरेंद्र कालानमक 1638 और पूसा नरेंद्र कालानमक 1652 किस्में जारी की गई थीं.