दुनिया का दूसरा बड़ा लहसुन उत्पादक देश होने के बावजूद भारतीयों को लहसुन के लिए रिकॉर्ड कीमत चुकानी पड़ रही है. देश के कई हिस्सों में लहसुन का रिटेल भाव 500 रुपए प्रति किलो की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. दूसरी तरफ भारत से लहसुन निर्यात की कीमत देखें तो पता चलेगा कि लहसुन को लेकर देश में प्रबंधन कितना खराब है.
वित्त वर्ष 2023-24 के शुरुआती 7 महीने यानी अप्रैल से अक्टूबर 2025 के दौरान देश से 62026 टन लहसुन का एक्सपोर्ट हुआ है जो एक्सपोर्ट को लेकर अब तक का रिकॉर्ड है. किसी भी वित्त वर्ष पहले इतना लहसुन कभी निर्यात नहीं हुआ है. पूरे वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश से करीब 57 हजार टन लहसुन का एक्सपोर्ट हुआ था. यह एक्सपोर्ट को लेकर अब तक का रिकॉर्ड था लेकिन इस साल सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं.
अगर मात्रा के लिहाज से इस साल अप्रैल–अक्टूबर के दौरान 62026 टन लहसुन का एक्सपोर्ट हुआ है, वहीं कीमत के लिहाज से देखें तो यह आंकड़ा 318.33 करोड़ रुपए का है. इस लिहाज से प्रति किलो एक्सपोर्ट भाव 51.26 रुपए बैठता है. यानी जिस लहसुन के लिए भारतीय 500 रुपए प्रति किलो का भाव दे रहे हैं, वह देश से सिर्फ 51.49 रुपए प्रति किलो के भाव पर एक्सपोर्ट हुआ है.
भारत से लहसुन का सबसे ज्यादा इंपोर्ट बांग्लादेश करता है और इस साल भी जितना एक्सपोर्ट हुआ है उसका आधे से ज्यादा हिस्सा बांग्लादेश को ही गया है. यानी बांग्लादेश के लोग भारत के लहसुन को भारतीयों से कम कीमत देकर खा रहे हैं. वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश से एक्सपोर्ट हुए 57346 टन लहसुन में 28244 टन का एक्सपोर्ट बांग्लादेश को हुआ था. बांग्लादेश के अलावा मलेशिया, वियतनाम और थाईलैंड भारतीय लहसुन के बड़े खरीदार हैं.