पिछले कुछ महीनों में प्याज और आलू की थोक कीमतों में तेजी से गिरावट आई है. हालांकि इस बार लहसून ने लोगों की रसोई का बजट बढ़ा दिया है. लहसुन की खुदरा कीमत 500 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है. अनियमित मौसम की वजह से रबी फसल की कटाई में देरी हुई है. जिस वजह से लहसुन के दाम बढ़ गए हैं. बंपर पैदावार के बाद एक महीने में आलू की कीमतों में 30 फीसद की गिरावट आई है, जबकि 7 दिसंबर से लागू निर्यात प्रतिबंध की वजह से प्याज की कीमतों में दो महीनों में 75 फीसद से ज्यादा की गिरावट आई है.
कितना महंगा हुआ लहसुन?
कम उत्पादन की वजह से लहसुन की कीमतें पिछले एक महीने में 250-300 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़कर 500 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई हैं. व्यापार आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल लहसुन की थोक कीमत लगभग 60 -80 रुपए प्रति किलोग्राम और खुदरा कीमतें 120-150 रुपए प्रति किलोग्राम थी.
क्यों घटी आलू-प्याज की कीमतें?
सरकार ने पहले ही रसोई से जुड़े जरूरी सामान के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके बाद लगभग सभी प्याज उत्पादक राज्यों ने खरीफ और देर से आने वाली खरीफ फसलों के बंपर उत्पादन की सूचना दी है. इन दो वजहों से प्याज की कीमतों में गिरावट आई है. आलू के सबसे बड़े उत्पादक उत्तर प्रदेश में अच्छी फसल की वजह से आलू की कीमतें कम हो गई हैं.
प्रतिबंध के बाद घटी कीमतें
7 दिसंबर को सरकार की तरफ से प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद से दो महीनों में, थोक कीमतों में 80 फीसद से ज्यादा की गिरावट आई है, जिससे सबसे ज्यादा प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में किसानों के बीच अशांति फैल गई है. प्रतिबंध के बाद, महाराष्ट्र में थोक बाजार फसल से भर गए, जिससे बाजार समिति प्रशासन को किसानों से कुछ दिनों के लिए अपनी उपज को बाजार में लाने से रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा.
जमीनी स्थिति का आकलन
केंद्र सरकार ने तब प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था जब थोक कीमतें ₹40 प्रति किलोग्राम से अधिक हो गई थीं, जिसकी वजह से कीमतें गिरकर ₹7-8 प्रति किलोग्राम हो गईं. एक अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों की एक टीम जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए वर्तमान में महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक क्षेत्रों के दौरे पर है.
उत्तर प्रदेश में आलू की बंपर फसल हुई है और इस साल 2 करोड़ टन से ज्यादा का उत्पादन हुआ है. आज़ादपुर मंडी के एक व्यापारी राजिंदर शर्मा ने कहा, “पिछले एक महीने में थोक स्तर पर कीमतें 30 फीसद से ज्यादा कम हो गई हैं क्योंकि यूपी से आवक अच्छी है.” खुदरा स्तर पर अच्छी गुणवत्ता वाले आलू 18-20 रुपए प्रति किलोग्राम मिल रहे हैं.