बीते 2 साल की तुलना में इस साल देश में गेहूं (Wheat) का उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है. हालांकि किसान ज्यादा भाव की उम्मीद में अपनी उपज को रोक रहे हैं क्योंकि मौजूदा भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP के ऊपर कारोबार कर रहा है. गेहूं का भाव एमएसपी के ऊपर होने से मिलर्स और कारोबारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि कृषि मंत्रालय ने गेहूं का उत्पादन 112.01 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया है. हालांकि अंतर्राष्ट्रीय कारोबारियों का मानना है कि गेहूं का उत्पादन 105 मिलियन टन हो सकता है जो कि पिछले साल के हमारे अनुमान से 5-6 मिलियन टन ज्यादा है.
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (आरएफएमएफआई) के अध्यक्ष प्रमोद कुमार के मुताबिक हालांकि सरकार की ओर से गेहूं का ज्यादा उत्पादन होने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन उसके बावजूद बाजारों में गेहूं की सप्लाई नहीं आ रही है और यह खरीदारी के लिए भी उपलब्ध नहीं है. बता दें कि फेडरेशन ने पिछले महीने एक सर्वे शुरू किया था और कहा था कि इस साल गेहूं का उत्पादन 3 फीसद बढ़कर 105.79 मिलियन टन होने का अनुमान है. दूसरी ओर अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने समय पर बुआई और अनुकूल मौसम को देखते हुए भारत का गेहूं उत्पादन 112.5 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया है.
व्यापारिक सूत्रों का कहना है कि इस साल मध्य प्रदेश और कुछ हद तक गुजरात को छोड़कर लगभग सभी राज्यों में गेहूं की फसल अच्छी रही है. वहीं एक अन्य कारोबारी का कहना है कि इस साल पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में गेहूं का उत्पादन अच्छा है. प्रमोद कुमार कहते हैं कि इस साल समस्या यह है कि गेहूं का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,275 रुपए प्रति क्विंटल के ऊपर बना हुआ है. उन्होंने कहा कि किसान सरकार को गेहूं की बिक्री नहीं कर रहे हैं और वह इसे रोक रहे हैं.