'मक्का-सोयाबीन के इंपोर्ट पर कम हो ड्यूटी'

आने वाले महीनों में मक्का और ब्रोकेन राइस की कीमतों में इजाफा हो सकता है: पोल्ट्री उद्योग

'मक्का-सोयाबीन के इंपोर्ट पर कम हो ड्यूटी'

अनियमित मानसून की वजह से उत्पन्न हुए अनाज की कमी की किल्लत सिर्फ मनुष्यों तक ही सीमित नहीं है. पोल्ट्री उद्योग चारे की कमी की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार से मक्का और सोयाबीन पर आयात शुल्क कम करने का अनुरोध करने की योजना बना रहा है. बता दें कि पोल्ट्री फीड के तौर पर ब्रोकेन राइस और मक्का एक प्रमुख कंपोनेंट है. उद्योग को इस बात की चिंता सता रही है कि आने वाले महीनों में मक्का और ब्रोकेन राइस की कीमतों में इजाफा हो सकता है, क्योंकि एथेनॉल को बनाने में गन्ने के रस के इस्तेमाल पर प्रतिबंध के बाद एथेनॉल को बनाने में इनका डायवर्जन बढ़ने की संभावना है.

कंपाउंड फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीएलएफएमए) ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सुरेश देवड़ा के मुताबिक हम सरकार को पत्र लिखकर मक्का और सोयाबीन पर आयात शुल्क कम करने का अनुरोध करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार एथेनॉल के लिए मक्के के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की योजना बना रही है. ऐसे में पोल्ट्री इंडस्ट्री को चारे के लिए मक्का हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. वहीं चावल कारोबारी राजेश जैन पहाड़िया के मुताबिक बीते 6 महीनों में ब्रोकेन राइस का भाव 18 फीसद बढ़कर 26 रुपए प्रति किलोग्राम हो गया है, जून में ब्रोकेन राइस का भाव 22 रुपए प्रति किलोग्राम दर्ज किया गया था. उनका कहना है कि पिछले 6 महीनों के दौरान ब्रोकेन राइस की मांग में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

गौरतलब है कि अनाज पर निर्भर डिस्टिलरीज, जो कि पिछले साल के दौरान निर्माणाधीन थीं, उनमें जनवरी से उत्पादन शुरू हो जाएगा. पहाड़िया के मुताबिक हमसे ब्रोकेन राइस की सप्लाई के लिए कई लोग संपर्क कर रहे हैं. उनका कहना है कि पोल्ट्री और एथेनॉल दोनों उद्योग का विकास तेजी से रहा है, जबकि मक्के के उत्पादन में बीते 5 साल में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है.

Published - December 14, 2023, 01:47 IST