शुगर इंडस्ट्री ने सरकार से 20 फीसद एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप की मांग की है. बता दें कि चीनी उत्पादन में गिरावट की आशंका के बीच सरकार ने 7 दिसंबर को गन्ने के रस और बी-हैवी मोलासेस से एथेनॉल के उत्पादन पर रोक लगा दिया था. हालांकि बाद में सरकार ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए एथेनॉल उत्पादन के लिए 17 लाख टन चीनी के डायवर्जन की सीमा को तय कर दिया था. पिछले साल 45 लाख टन चीनी का डायवर्जन एथेनॉल उत्पादन के लिए किया गया था.
इंडियन शुगर एंड बायो एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन यानी ISMA के मुताबिक चीनी उत्पादन के आंकड़ों के आधार पर भारत 285 लाख टन चीनी की घरेलू मांग को पूरा करने के बाद भी करीब 25 लाख टन चीनी के डायवर्जन से करीब 250 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन कर सकता था. शुगर सीजन के आखिर में 66 लाख टन से ज्यादा क्लोजिंग स्टॉक छोड़ने के बाद घरेलू मांग में कमी दर्ज की गई है.
शुगर सेक्टर के सामने कई चुनौतियां
ISMA ने सांख्यिकीय आंकड़ों को देखते हुए भविष्य में 20 फीसद एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करने में शुगर सेक्टर के सामने आने वाली चुनौतियों पर जोर दिया है. इसके अलावा सरकार ने नियमों का पालन करने के लिए जरूरी नीतिगत हस्तक्षेप की मांग की है. ISMA के प्रेसिडेंट प्रभाकर राव के मुताबिक 2030 तक चीनी उद्योग सरकार के महत्वाकांक्षी 20 फीसद एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अच्छी स्थिति में है. उनका कहना है कि शुगर इंडस्ट्री एथेनॉल उत्पादन में 55 फीसद योगदान दे सकता है. हालांकि उनका कहना है कि सरकार के द्वारा स्थिर नीति होने पर शुगर इंडस्ट्री एथेनॉल उत्पादन में अपना योगदान 60 फीसद तक भी बढ़ा सकती है.