देश के प्रमुख उत्पादक इलाकों में रबी सीजन में प्याज की बुआई में गिरावट देखने को मिल रही है. बीते कुछ महीने में अनियमित बारिश, जलाशयों में घटता जलस्तर और निर्यात पर प्रतिबंध के बीच जनवरी के पहले हफ्ते तक महाराष्ट्र और कर्नाटक के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में प्याज की बुआई में 20 फीसद की गिरावट आ चुकी है. गौरतलब है कि बुआई की समयसीमा खत्म होने में अभी कुछ दिन बाकी है. वहीं इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि चालू रबी सीजन में प्याज की खेती में 10-15 फीसद की गिरावट आ सकती है.
कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च-अप्रैल के आसपास खाद्य महंगाई उच्च स्तर पर पहुंच सकती है. क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के मुताबिक प्याज की बुआई में मौजूदा स्तर में कुछ सुधार हो सकता है. हालांकि उनका मानना है कि रबी प्याज का सीजन बुआई में 10 फीसद की गिरावट के साथ खत्म हो सकता है. कुल महंगाई में प्याज का भारांश 0.6 फीसद और सब्जी की टोकरी में भारांश 10 फीसद है.
गौरतलब है कि देश में उत्पादन होने वाले कुल प्याज में से रबी सीजन में उत्पादन होने वाले प्याज की हिस्सेदारी 70 फीसद है. रबी सीजन में उत्पादन होने वाले प्याज की शेल्फ लाइफ करीब 5-7 महीने होती है और इस प्याज पर मार्च से सितंबर तक आबादी को खिलाने के अतिरिक्त आपूर्ति और मांग की गतिशीलता को बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी ICAR के मुताबिक देश के प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों में जलाशय का स्तर काफी कम है, जिससे सिंचाई बाधित हो रही हैं.