भारत में कपास का भाव 2 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. कारोबारियों के मुताबिक पश्चिमी देशों खासकर अमेरिका और ब्रिटेन में आर्थिक संकट की वजह से मांग में कमी देखने को मिल रही है. किसान मौजूदा समय में अपनी फसल को 7 हजार रुपए प्रति क्विंटल पर बेचने को तैयार हैं लेकिन मिलों की ओर से खरीदारी नहीं हो रही है. राजकोट के एक कारोबारी का कहना है कि मंडियों में अभी कपास की आवक कम है और स्पिनिंग मिलों की ओर से कम भाव भी ऑफर किए जा रहे हैं.
कर्नाटक के रायचुर के एक कारोबारी के मुताबिक कॉटनसीड का भाव लुढ़ककर 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल के नीचे पहुंच गया है, जबकि जिन्ड कॉटन का भाव भी मांग में कमी की वजह से गिरकर 56,000-55,000 रुपए प्रति कैंडी हो गया है. कारोबारियों का कहना है कि कच्चे कपास का दाम गिरकर 7,200-7,300 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है. वहीं मौजूदा समय में निर्यात के लिए बेंचमार्क शंकर-6 कपास का भाव राजकोट में 54,850 रुपए प्रति कैंडी (356 किलोग्राम) पर बोला जा रहा है. दूसरी ओर राजकोट की कृषि उपज मंडी कच्चे कपास का दाम 7,100 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया है.
वैश्विक बाजार में इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज न्यूयॉर्क पर कपास वायदा 78.25 अमेरिकी सेंट प्रति पाउंड (51,600 रुपए प्रति कैंडी) पर बोला गया है. कपास की कीमतों में गिरावट के परिणामस्वरूप भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने एमएसपी पर उत्पादकों से 2.5 लाख गांठ (प्रत्येक 170 किलोग्राम) की खरीद की है और इसने अब तक इन खरीदों में 900 करोड़ से ज्यादा खर्च किए हैं.
बीज की कमी से घट सकता है उत्पादन
कपास के बीजों की कमी होने की वजह से अगले सीजन में भारत में कपास का उत्पादन प्रभावित हो सकता है. उद्योग के अनुमान के मुताबिक अगले सीजन के लिए देश में कपास के बीजों की भारी किल्लत हो सकती है. दरअसल, इस साल कपास के उत्पादन में 30-40 फीसद की गिरावट का अनुमान है जिससे बीजों की कमी हो सकती है. अनुमान के मुताबिक कपास के बीजों का पिछला बकाया स्टॉक इतना नहीं है कि मौजूदा कमी की भरपाई की जा सके. जानकारों का कहना है कि सरकार के द्वारा उठाए गए जरूरी कदमों से अगले साल कपास की बुआई को कम होने से बचाने में मदद मिल सकती है.