सरकार पिछले साल चावल के निर्यात पर लगाई गई पाबंदियों को हटाने पर विचार कर सकती है. दरअसल, चावल के सरप्लस स्टॉक और सामान्य से ज्यादा मानसून के पूर्वानुमान को देखते हुए खरीफ सीजन में धान की बुआई में बढ़ोतरी होने की संभावना है. ऐसे में सरकार निर्यात पर लगाई गई पाबंदियों को हटाने का फैसला करने से पहले खरीद धान की बुआई का आकलन कर सकती है जो कि अगले महीने से शुरू होने का अनुमान है. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि खरीफ धान की फसल अच्छी होने की संभावना है, ऐसे में सरकार के द्वारा चावल के निर्यात पर लगी पाबंदियों को हटाने पर विचार किया जा सकता है.
अगले महीने केरल तट पर मानसून की शुरुआत के साथ ही देशभर में बारिश की गति पकड़ने पर धान की बुआई शुरू हो जाएगी. बता दें कि कुल चावल उत्पादन में 80 फीसद हिस्सेदारी रखने वाले खरीफ धान की बुआई जून-जुलाई की अवधि में होती है. मौसम विभाग ने पिछले महीने इस साल जून-सितंबर की अवधि में सामान्य से ज्यादा बारिश का अनुमान जारी किया था. अनुमान के मुताबिक 90 फीसद संभावना जताई गई है कि मानसून की बरसात सामान्य से ज्यादा के बीच हो सकती है. बता दें कि पिछले साल मानसून की बरसात सामान्य से कम दर्ज की गई थी, जिसकी वजह से चावल का उत्पादन प्रभावित हुआ था.
गौरतलब है कि मार्च में चावल के रिटेल भाव में सालाना आधार पर 12.69 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. हालांकि ज्यादा बेस इफेक्ट की वजह से अगले कुछ महीनों में चावल में बढ़ोतरी कम होने की उम्मीद है. बता दें कि अक्टूबर 2022 से चावल की कीमतों में महंगाई डबल डिजिट में हैं. चालू सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में पिछले सीजन की समान अवधि की तुलना में खरीद में 7 फीसद की गिरावट के बावजूद भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास मौजूदा समय में चावल का स्टॉक 1 जुलाई के लिए बफर के चार गुना के करीब है. मौजूदा समय में एफसीआई के पास 53.19 मिलियन टन चावल का स्टॉक है. बफर नियमों के मुताबिक 1 जुलाई तक एफसीआई के पास 13.54 मीट्रिक टन का बफर स्टॉक होना चाहिए.
बता दें कि सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के शिपमेंट पर 20 जुलाई 2023 से प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही सेला (Parboiled) चावल के निर्यात पर लगी 20 फीसद एक्सपोर्ट टैक्स की शर्त को 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया है, पहले यह शर्त 16 अक्टूबर 2023 तक लागू थी. इसके अलावा सरकार ने हाल ही में बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी MEP को घटाकर 950 डॉलर प्रति टन कर दिया है. बता दें कि सितंबर 2022 से सरकार ने चावल के निर्यात पर पाबंदियों की शुरुआत की थी और शुरुआत टूटे हुए चावल (ब्रोकेन राइस) के निर्यात पर रोक से हुई थी.