अभी तक प्याज की महंगाई से राहत पूरी तरह से मिली भी नहीं है और आने वाले महीनों में अनाज और दालों की ऊंची कीमतों से सामना हो सकता है. मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में दालों की थोक महंगाई दर बढ़कर 19.4 फीसद दर्ज की गई, जबकि सितंबर में यह आंकड़ा 17.7 फीसद था. दूसरी ओर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में दालों की महंगाई करीब 19 फीसद तक पहुंच गई है, जबकि सितंबर में दालों की खुदरा महंगाई 16.3 फीसद थी.
इन वजहों से बढ़ सकते हैं दाम
अनाज और दालों की महंगाई की वजह चालू वित्त वर्ष में उत्पादन में कमी का अनुमान और अभी तक रबी फसल की बुआई के पिछड़ने को माना जा रहा है. हालांकि सरकार को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में रबी फसल की बुआई में सुधार हो सकता है, लेकिन बाजार को बुआई में बहुत ज्यादा सुधार की उम्मीद नहीं है. विशेषज्ञों का मानना है कि दालों की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ अनाज और प्याज की निरंतर ऊंची कीमतों की वजह से आने वाले महीनों में खुदरा महंगाई में जो गिरावट का रुख है वह रुक सकता है. बता दें कि अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर चार महीने के निचले स्तर 4.87 फीसद पर आ गयी है. हालांकि एक सकारात्मक खबर यह भी है कि टमाटर और आलू की कीमतों में नरमी का रुख है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एचडीएफसी बैंक के अर्थशास्त्रियों ने एक नोट में इस बात पर प्रकाश डाला है कि अक्टूबर के दौरान दालों की महंगाई 41 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी, जबकि अनाज की महंगाई भी ऊंचे स्तर पर बनी रही. मंडियों के भाव के आधार पर नंवबर में प्याज और टमाटर के दाम में क्रमशः 59 फीसद और 20 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि दालों और अनाज की कीमतों में और बढ़ोतरी हुई है. दालों और अनाज की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से कुल महंगाई के आंकड़े बढ़ सकते हैं.