जुलाई और अगस्त में हिमाचल प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा की वजह से राज्य में सेब के बागानों को काफी नुकसान पहुंचा है. सेब के बागों को नुकसान पहुंचने के कारण थोक और खुदरा बाजारों में सेब का दाम करीब दोगुना हो चुका है. एप्पल ग्रोअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट रविंदर चौहान के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में हुई भारी बारिश के कारण उत्पादन के साथ-साथ फलों की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है. उनका कहना है कि सेब उत्पादकों के लिए यह साल आकर्षक और फायदेमंद रहा है.
उनका कहना है कि फसल की गुणवत्ता में कमी की समस्या के अलावा अच्छी गुणवत्ता वाला सेब कोल्ड स्टोरेज में चला गया है. राज्य का कम से कम 30-35 फीसद सेब स्टोरेज में चला जाता है. आलफ्रेश (वेकूल एंटरप्राइज) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नरेश जावा के मुताबिक इस साल अप्रैल के अंत से अगस्त तक हिमाचल प्रदेश में अनियमित बारिश की वजह से सेब की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है और साथ ही खराब क्वॉलिटी के सेब का उत्पादन दर्ज किया गया है. उनका कहना है कि यही वजह है कि सेब के दाम में बढ़ोतरी देखी जा रही है. उनका कहना है कि एक दशक में पहली बार सेब की गुणवत्ता प्रभावित हुई है.
गौरतलब है कि देश में हिमाचल प्रदेश सेब का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. देश में सेब के कुल उत्पादन में इस राज्य की कम से कम एक चौथाई हिस्सेदारी है. देश में सेब के सबसे बड़े उत्पादक राज्य कश्मीर की उत्पादन में 70 फीसद हिस्सेदारी है. कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में देश में 2.44 मिलियन टन सेब का उत्पादन हुआ था. कुल उत्पादन में कश्मीर की हिस्सेदारी 1.72 मिलियन टन और हिमाचल की हिस्सेदारी 0.64 मिलियन टन थी.
हिमाचल से मिली जानकारी के मुताबिक शिमला, कुल्लू, मंडी, चंबा और किन्नौर जैसे प्रमुख उत्पादक इलाकों में 7-11 जुलाई के दौरान 400 फीसद से ज्यादा बारिश दर्ज की गई थी. भारी बारिश की वजह से बाढ़ और भूस्खलन की वजह से सेब के बगीचे नष्ट हो गए, जिसके कारण बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था.