भारत द्वारा चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद से भारत-नेपाल बॉर्डर पर इसकी तस्करी बढ़ गई है. दोनों देशों की सीमा पर बसे गांव के लोग पैदल या छोटे वाहनों से चावल की तस्करी कर रहे हैं. नेपाल के चावल व्यापारियों ने सीमा के नजदीक अपने वेयरहाउस स्थापित किए हैं. जहां भारत की सीमा पर स्थित गांव के लोग चावल यहां से खरीदकर नेपाल लेकर जा रहे हैं.
युवा बेरोजगार पुरुष, महिलाएं और यहां तक बुजुर्ग स्थानीय तस्करों के लिए कैरियर का काम कर रहे हैं. नेपाल बॉर्डर पर स्थिर वेयरहाउस तक एक कुंटल चावल पहुंचाने के बदले नेपाली व्यापारी इन लोगों को 300 रुपए का भुगतान कर रहे हैं. अधिकांश कैरियर अधिक पैसा कमाने के चक्कर में एक से ज्यादा चक्कर लगा रहे हैं.
पुलिस के मुताबिक लक्ष्मीनगर, थूथीबारी, निछलौल, पारसा मलिक, भगवानपुर, श्याम काट, फरेंजा और खनूवा कुछ ऐसे गांव हैं, जहां से सीमा पार कर नेपाल में घुसना आसान है और चावल की तस्करी को अंजाम दिया जा रहा है. महाराजगंज और नेपाल के लुम्बिनी प्रांत के बीच 84 किलोमीटर लंबा खुला बॉर्डर है.
अधिकारियों के मुताबिक पिछले चार महीनों में सशस्त्र सीमा बल और पुलिस ने नेपाल को तस्करी किए जा रहे 111.2 टन से ज्यादा चावल को जब्त किया है. चावल तस्करी में लगे अधिकांश लोग बेरोजगार हैं. गांव वाले स्थानीय तस्करों से चावल लेकर उसे नेपाल लेकर जाते हैं.
चावल की तस्करी में कड़ी निगरानी के बावजूद अत्यधिक लाभ होने के कारण चावल का अवैध कारोबार को बढ़ावा मिल रहा है. त्योहारी सीजन के दौरान घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने और खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए इस साल जुलाई में भारत सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद नेपाल में चावल की कीमतों में उछाल आया है.
प्रतिबंध से पहले नेपाल को चावल का निर्यात करने वाले एक स्थानीय चावल व्यापारी सूरज जैसवाल ने बताया कि 15 से 20 रुपए किलो बिकने वाला चावल नेपाल में अब 70 रुपए किलो के दाम पर बिक रहा है. चावल की तस्करी बढ़ने से भारतीय गांवों में भी चावल की खुदरा कीमत बढ़कर दोगुनी हो गई है. 15 से 20 रुपए किलो बिकने वाला चावल अब यहां 30 से 35 रुपए किलो की कीमत पर बिक रहा है.