घरेलू बाजार में कपास की ऊंची कीमतों के कारण सितंबर में समाप्त विपणन वर्ष 2022-23 में इस जिंस का निर्यात 64 फीसद घट गया है. भारतीय कपास संघ (सीएआई) ने यह जानकारी साझा की है. बता दें कि कपास विपणन वर्ष अक्टूबर से शुरू होकर सितंबर तक चलता है. सीएआई के आंकड़ों के अनुसार, कपास विपणन वर्ष 2021-22 में कपास का निर्यात 43 लाख गांठ का हुआ था, जो विपणन वर्ष 2022-23 में घटकर 15.50 लाख गांठ (1 गांठ=170 किलोग्राम) रह गया है. बता दें कि कपास के उत्पादन और खपत पर बनी कमेटी सीसीपीसी ने 30 लाख गांठ निर्यात का अनुमान लगाया था.
निर्यात में क्यों आई गिरावट?
सीएआई के अध्यक्ष अतुल गनात्रा के मुताबिक विपणन वर्ष 2022-23 में निर्यात घटकर 15.50 लाख गांठ रह जाने का मुख्य कारण भारत में कपास की ऊंची कीमतों का होना था, जो अक्टूबर से मार्च के दौरान वैश्विक कीमतों से काफी अधिक थी. ऊंची कीमतों ने भारत से कपास के निर्यात को प्रभावित किया. गनात्रा ने कहा कि उच्च आयात शुल्क के बाद विपणन वर्ष 2022-23 में कपास का आयात भी घटकर 12.50 लाख गांठ दर्ज किया गया है, जो कि पिछले अनुमान से 2.5 लाख गांठ कम है. विपणन वर्ष 2021-22 में कपास का आयात 14 लाख गांठ दर्ज किया गया था.
सीएआई ने 2022-23 सत्र में घरेलू खपत का अनुमान 311 लाख गांठ पर बरकरार रखा है. पिछले साल इस दौरान 318 लाख गांठ खपत का अनुमान जारी किया गया था. आंकड़ों के अनुसार, पहले का बचा हुआ (कैरी-ओवर) स्टॉक 28.90 लाख गांठ दर्ज किया गया है, जो पहले 23.18 लाख गांठ अनुमानित था. विपणन वर्ष 2022-23 में 318.90 लाख गांठ कपास की पेराई दर्ज की गई है, जबकि पहले 311.18 लाख गांठ कपास की पेराई का अनुमान लगाया गया था.