बीमा में कैसे तय होती है सरेंडर वैल्यू

प्रीमियम भुगतान के 3 वर्षों के बाद ही पॉलिसी के सरेंडर मूल्य की कैलकुलेशन की जाती है. सरेंडर वैल्यू कंपनी की पॉलिसी नियमों के आधार पर तय होती है.

  • Updated Date - April 20, 2023, 02:33 IST
बीमा में कैसे तय होती है सरेंडर वैल्यू

अगर आप किसी भी वजह से जीवन बीमा पॉलिसी मैच्योर होने से पहले उसे बंद करना चाहते हैं तो आप ऐसा कर सकते हैं. बीमा कंपनियां मैच्योरिटी से पहले पॉलिसी सरेंडर करने का विकल्प देती हैं. इस विकल्प को जरूरी होने पर ही इस्तेमाल करें क्योंकि सरेंडर वैल्यू हमेशा कम होती है. साथ ही 3 साल से पहले सरेंडर करने की स्थिति में कोई सरेंडर वैल्यू नहीं दी जाती.

आमतौर पर प्रीमियम भुगतान के 3 वर्षों के बाद ही पॉलिसी के सरेंडर मूल्य की कैलकुलेशन की जाती है. सरेंडर वैल्यू कंपनी की पॉलिसी नियमों के आधार पर तय होती है. पॉलिसी सरेंडर 2 तरह के होते हैं. इनमें पहला है गारंटीड सरेंडर वैल्यू. इसके तहत पॉलिसीधारक अपनी पॉलिसी को 3 साल पूरे होने के बाद ही सरेंडर कर सकता है. यानी प्रीमियम का भुगतान न्यूनतम 3 साल की अवधि के लिए पॉलिसीधारक को करना ही होगा.

अगर आप 3 साल के बाद सरेंडर करते हैं तो पहले साल में चुकाए गए प्रीमियम और एक्सीडेंटल बेनिफिट के लिए चुकाए गए प्रीमियम को छोड़ दिया जाता है. इसके बाद भुगतान किए गए प्रीमियम का लगभग 30 फीसद हिस्सा सरेंडर वैल्यू के रूप में वापस किया जाता है. पॉलिसी सरेंडर का दूसरा तरीका है स्पेशल सरेंडर वैल्यू. यह मूल बीमा राशि प्लस कुल बोनस और सरेंडर वैल्यू फैक्टर के आधार पर तय होती है. आमतौर पर अलगअलग पॉलिसी सरेंडर के नियम और शर्तें अलगअलग होती हैं.

Published - April 20, 2023, 02:33 IST