यहां करना होगा आवेदन
प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कराने के बाद दाखिल खारिज यानी म्यूटेशन के लिए तहसील में आवेदन दिया जाता है. इसके आधार पर क्षेत्रीय लेखपाल यह जांच करता है कि जिस व्यक्ति ने प्रॉपर्टी बेची है वह उसके नाम पर खतौनी है या नहीं.
खतौनी में नाम होने पर लेखपाल इस फाइल को प्रमाणित करके आगे बढ़ाता है. इसके बाद यह फाइल कानूनगो के पास होते हुए तहसीलदार के पास पहुंचेगी.
सामान्य तौर पर यह प्रक्रिया 45 दिन में पूरी हो जानी चाहिए. उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में इस कार्य को घर बैठे ऑनलाइन भी कराया जा सकता है.
आपत्ति का मौका
आमतौर पर खरीदार इस काम को किसी न किसी वकील के जरिए ही कराता है. तहसीलदार के यहां से सभी मामलों की सूची बनाकर अलग-अलग कोर्ट को आवंटित किया जाता है.
वाद दाखिल होने के बाद 30 दिनों तक आपत्तियों का इंतजार किया जाता है. इस दौरान विक्रेता को नोटिस जारी करके पूछा जाता है कि क्या यह जमीन आपने ही बेची है?
अगर किसी ने फर्जीवाड़ा करके रजिस्ट्री कराई है तो असली मालिक आपत्ति दर्ज करके दाखिल खारिज की प्रक्रिया को निरस्त करा सकता है. यदि सबकुछ सही पाया जाता है तो खरीदार का नाम राजस्व विभाग के अभिलेखों में चढ़ जाता है.
ऐसे करें ऑनलाइन पड़ताल
डिजिटल अभियान के तहत अब देशभर में प्रापर्टी से जुड़े दस्तावेज आनलाइन किए जा रहे हैं. कई राज्यों ने यह काम पूरा कर लिया है.
मिसाल के तौर पर, अगर आपको गाजियाबाद जिले में किसी प्रापर्टी का ब्योरा देखना है तो इसके लिए http://upbhulekh.gov.in/ वेबसाइट पर जाना होगा.
यहां अपने जिले को चुनें फिर तहसील और गांव पर क्लिक करें. जैसे ही आप भूमि का खाता संख्या दर्ज करेंगे उसमें शामिल लोगों के नाम सामने आ जाएंगे. इसके जरिए यह पता चल जाएगा कि इसमें कौन व्यक्ति कितनी भूमि का मालिक है.
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