अगर सेंसेक्स चालीस हजार तक पहुंचने पर निवेशक ने निवेश को भुनाया होता तो उसे क्वांट स्मॉल कैप के निवेश पर 2.33 लाख और कोटक स्मॉल कैप फंड के निवेश पर 1.79 लाख रुपये का नुकसान होता ( ये तुलना उस समय की है जब सितंबर 2021 में सेंसेक्स 60,048 तक पहुंचा था)
Core & Satellite रणनीति आपके म्यूचुअल फंड निवेश में रिस्क को कम करती है और रिटर्न बढ़ाने में मदद करती है. निवेश की इस स्ट्रैटजी में निवेशक का पोर्टफोलियो दो सेगमेंट में बांटा जाता है. एक होता है ‘कोर’ और दूसरा होता है ‘सैटेलाइट’. SRE Wealth के CEO और Co-founder कीर्तन शाह कहते हैं कि इस तरह की स्ट्रैटजी निवेशक के रिस्क औऱ रिटर्न को बांट देती है. पोर्टफोलिय का कोर हिस्सा वो रहता है जिसमें निवेशक रिस्क नहीं लेता और सैटलाइट वाले हिस्से में एसे निवेश रहते हैं जहा वो थोड़ा अग्रेसिव होकर निवेश करता है. इसे Bucketing Strategy भी कहते हैं जो पोर्टफोलियो को सुरक्षा देने के साथ निवेश की रकम को बढ़ाती है.
कैसे काम करती है Core & Satellite रणनीति ?
पोर्टफोलियो का कोर हिस्सा बड़ा रहता है और इसके मुकाबले सैटेलाइट का हिस्सा छोटा .कोर पोर्टफोलियो लंबे समय के लिहाज से रिटर्न देता है और सैटेलाइट रिस्क एडजस्ट करने का ख्याल रखता है.
कीर्तन के मुताबिक निवेशक के रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार से कोर और सैटेलाइट में निवेश होते हैं. एक कंजर्वेटिव पोर्टफोलियो में 70% कोर निवेश होगा जिसमें डेट और कॉर्पोरेट बांड होंगे और 20% के सैटेलाइट हिस्से में इक्विटी फंड में निवेश होगा.
लेकिन एक वहीं अग्रेसिव पोर्टफोलियो के कोर और सैटेलाइट दोनों में इक्विटी से जुड़े निवेश रहेंगें. लेकिन अग्रेसिव पोर्टफोलियो अपने सैटेलाइट हिस्से को इंटरनेशनल फंड या थीमैटिक फंड के साथ ज्यादा डायवर्सिफाइ कर पाएंगें.
SRE Wealth के CEO और Co-founder कीर्तन शाह की इस पूरी बातचीत को आप इस वीडियो में देख सकते हैं