भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से क्रेडिट कार्ड को यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (UPI) से लिंक करने की अनुमति दिए जाने के बाद से रुपे क्रेडिट कार्ड की मांग में वृद्धि देखने को मिली है. फिनटेक प्लेटफॉर्म ZET के उपभोक्ता अध्ययन के अनुसार, UPI इंटीग्रेशन से भारत के टियर -2, 3 और 4 कस्बों एवं शहरों में रुपे क्रेडिट कार्ड की मांग तेज हुई है. भारत के 706 छोटे कस्बों और शहरों में जुलाई-सितंबर की तिमाही में रुपे क्रेडिट कार्ड की मांग करीब 37 प्रतिशत बढ़ी है. वहीं अप्रैल-जून तिमाही के दौरान यह मांग 23% थी.
जून 2022 में आरबीआई से यूपीआई इंटीग्रेशन को मिली अनुमति से उपभोक्ता अब भुगतान करने के लिए अपने क्रेडिट कार्ड का बिना किसी रुकावट इस्तेमाल कर सकते हैं. उन्हें बस एसेट लाइट क्यूआर कोड को स्कैन करना होता है. यह भुगतान सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इसमें प्रमाणीकरण के लिए UPI पिन का उपयोग किया जाता है. ZET के सह-संस्थापक एवं सीईओ मनीष शारा का कहना है कि यूपीआई के साथ इंटीग्रेशन के बाद से, रुपे क्रेडिट कार्ड के लिए भारत के चुनिंदा क्षेत्रों में रुपे कार्ड की मांग में वृद्धि देखी जा रही है. जुलाई के दौरान भारत के भीतरी इलाकों में प्लेटफॉर्म के माध्यम से लगभग 37% कार्ड जारी किए गए. सितंबर तिमाही में काफी रुपे कार्ड जारी हुए. वही मास्टरकार्ड (32%) और वीजा कार्ड (31%) जारी हुए.
जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान रुपे कार्ड की सबसे अधिक मांग जिन टॉप 10 शहरों में थी, उनमें जयपुर, मेरठ, सूरत, नागपुर, रांची, रायपुर, वाराणसी, इंदौर, कानपुर और झांसी शामिल हैं. अप्रैल-जून तिमाही के दौरान प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से जारी किए गए रुपे कार्ड का हिस्सा 29% था, जबकि मास्टरकार्ड और वीजा क्रमशः 36% और 35% थे. हालांकि, अगली तिमाही में रूपे कार्ड की मांग वीज़ा और मास्टरकार्ड से ज्यादा हो गई. रुपे कार्ड वितरित करने वाले बैंकों में एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक और एसबीआई सबसे आगे रहें.
जून 2023 में कार्डों की कुल संख्या 1376 अरब थी. जून 2023 में क्रेडिट कार्ड की संख्या 88.68 मिलियन थी, वही डेबिट कार्ड की संख्या 975.8 मिलियन थी और 312.1 प्रीपेड कार्ड की थी. वर्ल्डलाइन डिजिटल रिपोर्ट के अनुसार इनमें क्रमशः 13%, 6% और 18% की सालाना वृद्धि दर्ज की गई है. क्रेडिट कार्ड के शीर्ष 5 जारीकर्ताओं में एचडीएफसी, एसबीआई, आईसीआईसीआई, एक्सिस और कोटक शामिल हैं. क्रेडिट कार्ड जारी करने में निजी क्षेत्र के बैंकों का दबदबा ज्यादा रहा.
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