इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने का आखिरी मौका खत्म होने को कुछ ही दिन बाकी है. अगर आपने अभी तक रिटर्न दाखिल नहीं किया है तो इसमें ब्याज की रकम का जिक्र करना न भूलें. अक्सर लोग इसकी डिटेल्स भरने में गड़बड़ी करते हैं या नहीं भरते हैं जिसके चलते बाद में आयकर विभाग से नोटिस आ जाता है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए आईटीआर भरते समय इन चीजों का ध्यान रखें.
टैक्सेबल है बैंक एफडी पर मिलने वाला ब्याज बैंक सावधि जमा (FD) पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह से टैक्सेबल यानी कर योग्य होता है. मगर कई बार करदाता ब्याज आय की रिपोर्ट करने के तरीके में गलती करते हैं. इससे कर विभाग के पास उपलब्ध ब्याज आय डेटा और करदाताओं की ओर से दाखिल आयकर रिटर्न (ITR) में दिखाए गए डेटा मेल नहीं खाते. जिसके चलते आप शक के घेरे में आ सकते हैं. इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि एफडी पर ब्याज प्राप्त न होने के बावजूद उसे अर्जित होने वाले वर्ष में दिखाना चाहिए.
वरिष्ठ नागरिक छूट के लिए कर सकते हैं दावा एफडी से मिलने वाले ब्याज की रकम में वरिष्ठ नागरिक टैक्स में छूट का दावा कर सकते हैं. वे 50,000 तक की रकम पर कटौती का दावा कर सकते हैं. वरिष्ठ नागरिकों को इसे आईटीआर में दिखाना होगा. ब्याज आय को वे अन्य सोर्स के तहत दिखा सकते हैं. वहीं टैक्स कटौती का दावा वे इनकम टैक्स की धारा 80TTB के तहत कर सकते हैं.
किस वर्ष देनी चाहिए ब्याज की जानकारी जानकारों का मानना है कि निवेशकों को वार्षिक आधार पर अर्जित ब्याज की जानकारी टैक्स के लिए देनी चाहिए. ऐसा करने से निवेशक कम आय वाले टैक्स स्लैब में आ सकता है और अर्जित वार्षिक ब्याज पर भी कम टैक्स लगेगा. इसके अलावा, चूंकि बैंक हर साल अर्जित ब्याज पर टीडीएस काटेगा और वो फॉर्म 26एएस में दिखाई देगा, इससे हर साल दिए गए टैक्स और ब्याज पर काटे गए टीडीएस के बीच अंतर नहीं दिखेगा.
मैच्योरिटी के दौरान भी भर सकते हैं टैक्स अगर करदाता एफडी की मैच्योरिटी के वर्ष में टैक्स का भुगतान करना चाहता है, तो वह टीडीएस को आगे बढ़ा सकता है. ऐसी स्थिति में आईटीआर फॉर्म में टीडीएस राशि का वर्ष और उसमें से दावा की गई टीडीएस क्रेडिट राशि का जिक्र करने का विकल्प होता है, हालांकि इसे बहुत सावधानी से भरना चाहिए. ऐसे व्यक्ति जो रसीद के आधार पर एफडी ब्याज टैक्सेशन का विकल्प चुनते हैं, उन्हें पहले के वर्षों के लिए अपना रिटर्न दाखिल करते समय टीडीएस अनुसूची में यह शामिल करना चाहिए कि ऐसे टीडीएस को आगे बढ़ाया जाए. ऐसे में सभी टीडीएस का क्रेडिट मैच्योरिटी के वर्ष में उपलब्ध होगा और तब ब्याज पर टैक्स लगेगा.
टीडीएस से बचने के लिए भरें ये फॉर्म जिन लोगों की आय छूट की सीमा से कम है, वे टीडीएस से बचने के लिए फॉर्म 15जी दाखिल कर सकते हैं. वहीं वरिष्ठ नागरिकों को इसके लिए फॉर्म 15H भरना होगा.
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