अक्सर लोग अपनी संपत्ति की हिफाजत के लिए वसीयत बनवाते हैं. इससे बंटवारे में भी आसानी होती है. इसके अलावा वह नॉमिनी का भी विकल्प चुनते हैं. मगर कई बार लोग ऐसा करना भूल जाते हैं या सही समय का इंतजार करते हैं. मगर इस बीच दुर्भाग्यवश उनकी मौत हो जाने से उनकी संपत्ति की देखरेख का कोई उत्तराधिकारी नहीं होता. ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसी प्रॉपर्टी का क्या होता है और अगर कोई वारिस नहीं है तो उस संपत्ति की देखरेख की जिम्मेदारी किसकी होगी और ये प्रॉपर्टी कैसे मिल सकती है.
भारतीय कानून के तहत कानूनी उत्तराधिकारी के लिए विभिन्न अधिनियम बनाए गए हैं. इनमें अलग-अलग धर्मों और वर्गों के तहत इसे बांटा जाता है. इसमें पुरुष और महिला से संबंधित अलग-अलग नियम हैं. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध परिवार संपत्ति के लिए कानूनी उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र का दावा कर सकते हैं. हालांकि, यह कानून पुरुषों और महिलाओं पर अलग-अलग तरह से लागू होता है.
पुरुष और महिला के लिए नियम अगर किसी पुरुष की मौत वसीयत छोड़े बिना होती है तो उसकी संपत्ति उसके कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच बांटी जाएगी. ये वर्ग 1 और वर्ग 2 के तहत आते हैं. वर्ग 1 के उत्तारिधाकारियों में मृतक के बेटे, बेटी, पत्नी और माता-पिता शामिल हैं. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के वर्ग- I के तहत मृतक की संपत्ति उसके परिवार के सदस्यों के बीच समान रूप से वितरित की जाएगी. उदाहरण के लिए, अगर कोई पुरुष विवाहित है और उसकी कोई वसीयत नहीं है तो प्रॉपर्टी उसके बेटे या बेटी व पत्नी को दी जाएगी. यदि पुरुष अविवाहित है, तो उसकी संपत्ति उसकी मां को दे दी जाएगी. मृत व्यक्ति की बेटी का पति अपनी पत्नी की ओर से संपत्ति में कोई दावा नहीं कर सकता है. वहीं अगर किसी शादीशुदा महिला की मौत होती है तो उसकी संपत्ति को उसके पति, बेटे और बेटी के बीच बांटा जाएगा. वहीं अगर उसके बच्चे जीवित नहीं हैं, तो उसके पोते उसकी संपत्ति पर दावा कर सकते हैं. वहीं महिला के अविवाहित होने पर उसकी संपत्ति उसके माता-पिता को ट्रांसफर होगी.
वर्ग-2 के तहत जानें कौन होगा उत्तराधिकारी? हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा II यानी वर्ग 2 के तहत रिश्तेदार सहित परिवार के सदस्य मृत व्यक्ति की संपत्ति पर दावा कर सकते हैं. ऐसे में मृतक की पीढ़ी के सबसे करीबी सदस्य को प्रॉपर्टी पर क्लेम का अधिकार मिलता है. अगर इस श्रेणी में कोई दावेदार नहीं होता है तो मृत व्यक्ति की संपत्ति उसके संबंधियों को बांटी जाती है. उदाहरण के लिए, एक मृत पुरुष के मामले में, उसके पिता, पोती के बच्चे, भाई और बहनें पहली श्रेणी के तहत संपत्ति का दावा कर सकते हैं. वहीं अविवाहित मृत व्यक्ति के मामले में उसकी संपत्ति उसके भाई, बहन और पिता के बीच बांटी जाएगी.
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