आजकल पेमेंट के लिए ज्यादातर लोग यूपीआई (UPI) का इस्तेमाल करते हैं. पैसों के लेनदेन में कई बार लोग गलती से दूसरे के बैंक अकाउंट में पैसे भेज देते हैं. ऐसे में उन्हें चिंता सताती है कि क्या उनके पैसे वापस मिल पाएंगे या नहीं. दरअसल इस सिलसिले में अलग-अलग बैंकों के अपने नियम हैं. हालांकि ज्यादातर मामलों में संबंधित बैंक की ब्रांच में शिकायत दर्ज कराकर या टोल फ्री नंबर पर बात करके मामले को सुलझाया जा सकता है.
कस्टमर केयर पर सूचित करें
बैंकों के नियमों के मुताबिक गलत मनी ट्रांसफर के मामले में खाताधारक को इस बारे में सबसे पहले बैंक सूचित करना चाहिए. इस बारे में कस्टमर केयर नंबर पर तुरंत कॉल करके लेनदेन के सभी विवरण की जानकारी दे सकते हैं. कस्टमर केयर से आपको एक रिक्वेस्ट या शिकायत संख्या मिलेगी. आप ट्रांजेक्शन में हुई गलती का विवरण देते हुए ग्राहक सेवा विभाग को एक ईमेल भेज सकते हैं. इससे आधिकारिक रूप से आपकी शिकायत दर्ज हो जाएगी.
बैंक मैनेजर से कर सकते हैं संपर्क
समस्या के समाधान के लिए खाताधारक अपने बैंक की ब्रांच में जाकर मैनेजर से इस बारे में बात कर सकते हैं. इस दौरान आपको अकाउंट नंबर समेत ट्रांजेक्शन की अन्य डिटेल देनी होगी. साथ ही एक प्रार्थना पत्र देना होगा. बैंक नियम के अनुसार अगर खाता नंबर गलत है या मौजूद नहीं है तो पैसा तुरंत आपके खाते में वापस जमा हो जाएंगे.
पैसे वापस लेने की प्रक्रिया
अगर किसी खाताधारक ने गलती से ऐसे अकाउंट में पैसे भेज दिए हैं, जिसका खाता उसी बैंक में है तो ये एक इंट्रा बैंक लेनदेन की श्रेणी में आएगा. इसमें बैंक खुद उस खाता धारक से बात कर सकता है जिसके खाते में गलती से रुपए पहुंचे हैं. साथ ही बैंक उनसे पैसे वापस करने की बात कह सकता है. वहीं अगर किसी ने अन्य बैंक में पैसे ट्रांसफर कर दिए हैं तो आपका बैंक आपको गलत प्राप्तकर्ता के बैंक और शाखा का विवरण प्रदान करेगा. फिर आप व्यक्तिगत रूप से संबंधित बैंक में जाकर वहां के प्रबंधक से बात कर सकते हैं. आपको गलत लेनदेन के संबंध में सभी सबूत उन्हें दिखाने होंगे. आपकी रिक्वेस्ट पर बैंक प्रबंधक गलत प्राप्तकर्ता से संपर्क करेगा और आपके पैसे वापस करने का अनुरोध करेगा.
कानून का भी ले सकते हैं सहारा
गलत अकाउंट में पैसे ट्रांसफर होने पर ये प्राप्तकर्ता पर निर्भर करेगा कि पैसे लौटाने है या नहीं. अगर प्राप्तकर्ता पैसे लौटाने से मना कर दे, तब प्रक्रिया लंबी हो सकती है. ऐसी स्थिति में आप कोर्ट का सहारा ले सकते हैं. इसके लिए आपको प्राप्तकर्ता के खिलाफ कोर्ट से नोटिस भिजवाना होगा. इस बारे में रिजर्व बैंक के नियम के तहत इस गलती के लिए बैंक दोषी नहीं हैं. चूंकि ग्राहक खुद ही सारे डिटेल्स भरते हैं, इस कारण सारी जवाबदेही उसी की होगी.