बहुत से लोगों के कई बैंक खाते रहते हैं, जिसके चलते वे ठीक से उसे ऑपरेट नहीं कर पाते. काफी समय से खाते में लेन-देन न होने पर ऐसे अकाउंट निष्क्रिय हो जाते हैं. अगर आपका बैंक खाता भी डिएक्टिव हो गया है तो तुरंत बैंक से संपर्क करें. नियमों के मुताबिक जब किसी बैंक खाता में दो साल से अधिक समय तक ट्रांजेक्शन नहीं होता है, तो यह आम तौर पर निष्क्रिय श्रेणी में रखा जाता है. वित्तीय संस्थानों को सभी खातों का रिकॉर्ड बनाए रखना जरूरी होता है, ऐसे में इन बेकार खातों का प्रबंधन करना बोझिल और महंगा हो सकता है. यही वजह है कि इन्हें डिएक्टिव कर दिया जाता है.
अगर आपके पास एक निष्क्रिय खाता है, तो आप जमा राशि के जरिए या अपने बैंक से संपर्क करके इसे दोबारा सक्रिय कर सकते हैं. अगर कोई खाता एक दशक से अधिक समय तक निष्क्रिय रहा हो और उसमें जमा रकम दावा न की गई हो तो भारतीय रिजर्व बैंक के जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष में इसे ट्रांसफर कर देंगे. इस फंड को पाने के लिए ग्राहक को आरबीआई से संपर्क करना होगा. खाते को एक्टिव करने के लिए खाताधारक को एक तय समय सीमा दी जाती है. आमतौर पर लगभग 90 दिनों के भीतर लेनदेन करके खाते को दोबारा सक्रिय करने का मौका मिलता है.
केवाईसी विवरण नियमित रूप से अपडेट करें
कई बैंक ग्राहकों से आग्रह कर रहे हैं कि यदि उनके खाते 24 महीने से अधिक समय से निष्क्रिय हैं तो वे अपने खाते सक्रिय करें और अपने केवाईसी विवरण अपडेट करें. बैंक ने यह फैसला धोखाधड़ी और अन्य वित्तीय अपराधों के जोखिम को कम करने के लिए लिया है.
खाते को निष्क्रिय होने से बचाने की प्रक्रिया
– अगर आपके पास सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक खाता है जो कुछ समय से निष्क्रिय है, तो उसका स्टेटस चेक करें. इसे सक्रिय बनाने के लिए लेनदेन करें.
– बैंक शाखा में जाकर या मोबाइल बैंकिंग या इंटरनेट बैंकिंग एप्लिकेशन के जरिए ट्रांजेक्शन किया जा सकता है.
– अपने खाते को निष्क्रिय होने से बचाने के लिए हर दो साल में अपने खाते में कम से कम एक बार लेनदेन जरूर करें.
– अपने बैंक खाते को मोबाइल वॉलेट या यूपीआई ऐप से कनेक्ट करें.