देश में वेतनभोगियों की करीब आधी आबादी को कंपनी की तरफ से पेड लीव नहीं दी जाती. सालाना जारी होने वाली पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है. सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि देश में कुल वेतनभोगियों के 46.8 फीसद हिस्से को पेड लीव नहीं मिलती. राज्यवार आंकड़े देखें तो इस लिस्ट में राजस्थान और मध्य प्रदेश की स्थिति सबसे खराब है. राजस्थान में 63 फीसद और मध्य प्रदेश में 60 फीसद वेतनभोगियों को पेड लीव नहीं मिलती. जबकि ओडिशा, मिजोरम और गोवा जैसे राज्य इस लिस्ट में अन्य राज्यों से बेहतर स्थिति में हैं.
क्या कहती है सर्वे?
पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे ने 10 राज्यों में सर्वे किया. इसकी रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 की अवधि में, भारत में 52 प्रतिशत वेतनभोगी वर्ग के पास कोई सवैतनिक अवकाश नहीं था, जबकि 2020-21 में यह गिरकर 47.9 फीसदी पर आ गया. 2021-22 में जहां यह आंकड़ा 49 फीसदी तक पहुंच गया, वहीं 2022-23 में यह अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया है. 10 राज्यों में, अधिकांश श्रमिकों को कोई पेड लीव नहीं मिलता है. इनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, सिक्किम, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और आंध्र प्रदेश शामिल हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में स्थिति सबसे खराब है जहां ऐसे श्रमिकों का अनुपात 63 प्रतिशत है. ग्रामीण राजस्थान में, लगभग तीन-चौथाई पुरुष श्रमिक सवैतनिक अवकाश के लिए पात्र नहीं हैं.
इन राज्यों की स्थति खराब
चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में इन लोगों का अनुपात लगभग 60 प्रतिशत है. वहीं, सिक्किम और गुजरात में यह 57 प्रतिशत है. इस मामले में अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों में मिजोरम, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और गोवा शामिल हैं, जहां 25 प्रतिशत से भी कम नियोजित लोगों को सवैतनिक छुट्टियां नहीं मिलती हैं. इस सर्वे की रिपोर्ट से पता चलता है कि पुरुषों की तुलना में वेतनभोगी महिलाओं का अनुपात अधिक है और वे सवैतनिक अवकाश के लिए पात्र हैं. जहां 53.1 प्रतिशत वेतनभोगी पुरुष सवैतनिक छुट्टियों के लिए पात्र नहीं हैं, वहीं महिलाओं में यह अनुपात 43.5 प्रतिशत है. ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि कुछ प्रतिष्ठान अपनी महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश की अनुमति देते हैं.