माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की चोरी पर अंकुश लगाने के लिए विभाग सत्यापन के लिए बायोमेट्रिक आधार प्रमाणीकरण की प्रक्रिया शुरू करेगा. इसके जरिए फर्जी दावेदारों को पकड़ा जाएगा. इसकी शुरुआत गुजरात और पुड्डुचेरी से की जाएगी. राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा का कहना है कि जीएसटी में फर्जी पंजीकरण के खिलाफ चल रहे विशेष संयुक्त अभियान को 15 जुलाई से आगे बढ़ाया जा सकता है. दरअसल, जीएसटी अभियान के तहत बड़ी संख्या में संदिग्ध आवेदन पाए जा रहे हैं. ऐसे में इस फर्जीवाड़े पर नकेल कसने के लिए सरकार बायोमेट्रिक-आधारित आधार प्रमाणीकरण का इस्तेमाल करेगी.
बता दें कि लंबे समय से जीएसटी अधिकारी आवेदकों की पहचान के लिए ओटीपी-आधारित प्रमाणीकरण कर रहे हैं. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अनुसार, कर अधिकारी अब बायोमेट्रिक आधार प्रमाणीकरण के जरिए जीएसटी में हो रहे फर्जीवाड़े को रोकने की कोशिश करेंगे. दरअसल, इसके तहत संदिग्ध मामलों में व्यक्ति को अपनी पहचान सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक्स सत्यापन के लिए आधार केंद्र भेजा जाएगा.
जीएसटी में ऐसे हो रहा फर्जीवाड़ा
केंद्रीय और राज्य कर प्रशासन की तरफ से जीएसटी में हो फर्जी पंजीकरण की जानकारी हासिल करने के लिए यह कदम उठाया गया है. गुजरात राज्य कर अधिकारियों ने हाल में बताया कि कुछ फर्जी लोगों ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की जानकारी के बिना उनके पैन और आधार नंबर का गलत इस्तेमाल कर फर्जी जीएसटी पंजीकरण किए थे. इतना ही नहीं, इन आधार कार्ड के फोन नम्बर्स भी फर्जी तरीके से संशोधित कर दिए गए थे. इन लोगों को पैसे और सरकारी योजनाओं के लाभ का लालच दिया गया. इसके बाद इन लोगों को नजदीकी आधार सेवा केंद्र ले जाकर उनके अंगूठे के निशान लिया गया. और इस तरह से उनके आधार कार्ड को एक डमी मोबाइल नंबर से लिंक कर इससे फर्जी तरीके से जीएसटी पंजीकरण किया गया.
बायोमेट्रिक-आधारित आधार प्रमाणीकरण
इस तरह के मामले लगातार सामने आने के बाद गुजरात और पुडुचेरी में बायोमेट्रिक-आधारित आधार प्रमाणीकरण का फैसला लिया गया. काउंसिल ने यह भी सिफारिश की है कि पंजीकृत व्यक्ति के बैंक खाते, नाम और पैन का विवरण पंजीकरण के अनुदान के 30 दिनों के भीतर प्रस्तुत होना चाहिए. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो उसे जीएसटीआर दाखिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
सरकार को 17,000 करोड़ की टैक्स चोरी
गौरतलब है कि 16 मई को शुरू किए गए एक विशेष संयुक्त अभियान के दौरान, डेटा एनालिटिक्स के आधार पर लगभग 70,000 रजिस्ट्रेशन संदिग्ध पाए गए. इसमें करीब 62,000 पंजीकरण सत्यापित हुए जबकि लगभग 18,000 फर्जी पाए गए. बताया जा रहा है कि इन फर्जी कंपनियों ने आईटीसी के फर्जी इस्तेमाल के जरिए सरकारी खजाने को करीब 17,000 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया.
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