Fake Beneficiaries Verification Drive: केंद्र सरकार अपनी योजनाओं का फर्जी तरीके से लाभ लेने वालों पर शिकंजा कसने के लिए बड़ा अभियान चला रही है. राज्यों के साथ मिलकर अपनी कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों का वेरिफिकेशन कर सरकार मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 में 18,000 करोड़ रुपये की बचत करने की योजना में है. इसके तहत फर्जी लाभर्थियों की पहचान कर उनका नाम न सिर्फ योजना की लिस्ट से काटा जाएगा बल्कि उन्हें ब्लॉक करने के साथ उनपर कार्रवाई भी की जाएगी.
केंद्र सरकार पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत छोटे किसानों को 2000 रुपए की तीन किस्त यानी सालाना 6,000 रुपये की रकम देती है. इसके अलावा, सरकार किसानों को सस्ती खाद उपलब्ध कराने के लिए लाभार्थियों को फर्टिलाइजर सब्सिडी प्रदान करती है. साथ ही मनरेगा (MGNREGA) के तहत ग्रामीण इलाकों में बेरोजगार मजदूरों को 100 दिनों का गारंटीड रोजगार भी देती है. हालांकि इन योजनाओं का लाभ कई लोग फर्जी तरीके से भी ले रहे हैं. ऐसे में सरकार इन लोगों की पहचान करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर वेरिफिकेशन अभियान चला रही है. इसके तहत बड़ी संख्या में फर्जी और डुप्लीकेट लाभार्थियों की पहचान कर उन्हें ब्लॉक किया गया है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा फर्जी लाभार्थियों की पहचान प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना में हुई है. कृषि कल्याण मंत्रालय ने पिछले दिनों संसद में बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 में 10.4 करोड़ किसानों को पीएम किसान योजना का लाभ दिया गया था जो साल 2022-23 में 23 फीसदी घटकर 8 करोड़ पर आ चुकी है. 2021-22 में सरकार ने पीएम किसान के तहत 67,031 करोड़ रुपये किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर किए थे, जो घटकर 2022-23 में 57,646 करोड़ रुपये रह गई है. इस वर्ष पीएम किसान के फर्जी लाभार्थियों के नामों को डेटाबेस से हटाकर सरकार को 9,000 करोड़ रुपए की बचत की जाएगी.
सब्सिडी वाले खाद योजना में सरकार ने 80,000 एग्रोकमिकल्स बैग सीज किया है और 30 एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की है. इस योजना के तहत केंद्र सरकार 266 रुपये में 45 किलो का यूरिया बैग उपलब्ध कराती है जिसपर सरकार को 2500 रुपये प्रति बैग सब्सिडी का भार उठाना पड़ता है. वहीं, मनरेगा के तहत 33 लाख फर्जी जॉब कार्ड के डेटा को हटाया गया है, जो गलत तरीके से इस योजना का लाभ ले रहे थे.
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