हवाई यात्रा के दौरान बोर्डिंग के झंझट से बचने से लेकर होटल चेक इन और सार्वजनिक जगहों तक आसान पहुंच में डिजी यात्रा काफी फायदेमंद होगा. सरकार जल्द ही इसका विस्तार करने वाली है. नई योजना के तहत 2025 के आखिर से पहले ये इंटरनेशनल यात्रियों के लिए भी उपलब्ध होगी. इससे महज ऐप के जरिए सारे काम किए जा सकेंगे, इसके लिए कागजी दस्तावेजों की जरूरत नहीं पड़ेगी.
विदेशी यात्रियों को दी जाने वाली इस सुविधा के लिए एक एनजीओ, डिजी यात्रा फाउंडेशन (DYF) काम कर रहा है. वो जल्द ही चिप युक्त ई-पासपोर्ट को इंटीग्रेट करके इसके सत्यापन योग्य क्रेडेंशियल बनाएंगे. वर्तमान में यह ई-पासपोर्ट-आधारित नामांकन का प्रोटोटाइप टेस्टिंग कर रहा है. इससे भौतिक पासपोर्ट सत्यापन की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे समय की काफी बचत होगी.
कैसे काम करेगी सुविधा?
मान लीजिए अगर आप बेंगलुरु से फ्रैंकफर्ट के लिए उड़ान भर रहे हैं, तो आप डिजी यात्रा ऐप का उपयोग करके बेंगलुरु के अधिकारियों के साथ अपनी डिटेल साझा करेंगे. फिर आपकी प्रक्रिया बिना दिक्कतों के पूरी हो जाएगी. एक बार जब आप फ्रैंकफर्ट में उतरेंगे, तो वहां के इमिग्रेशन अधिकारियों को आपके क्रेडेंशियल पहले ही मिल जाएंगे. इससे दो घंटे तक इंतजार करने के बजाय, आप ऑटोमैटिक सीमा नियंत्रण से गुजर सकते हैं. आपका पासपोर्ट आसानी से स्कैन हो जाएगा और चेहरे से मिलान कर सकेंगे.
इन देशों में चल रही टेस्टिंग
कई यूरोपीय देश भी डिजिटल यात्रा का परीक्षण कर रहे हैं. पिछले साल फिनलैंड ने हेलसिंकी हवाई अड्डे पर दुनिया का पहला डिजिटल यात्रा दस्तावेज़ पायलट कार्यक्रम शुरू किया था. अब क्रोएशिया, नीदरलैंड और कनाडा भी इस के साथ प्रयोग कर रहे हैं. पिछले महीने भारतीय हवाई अड्डों पर सत्यापन के लिए चेहरे की पहचान तकनीक का उपयोग करने वाली बायोमेट्रिक बोर्डिंग प्रणाली के बैकएंड सिस्टम में अपग्रेड किया गया था, और उपयोगकर्ताओं को नया ऐप इंस्टॉल करने के लिए कहा गया था.