अगर आप बचत खाते में बड़े अमाउंट में लेनदेन करते हैं तो इनकम टैक्स विभाग की नजरें आप पर तिरछी हो सकती हैं. चालू खाते या एफडी को छोड़कर बचत खाते में एक साल में 10 लाख रुपए से ज्यादा नकद जमा करने या निकालने पर इसकी सूचना आयकर विभाग को देना जरूरी है. ऐसे लेनदेन की रिपोर्टिंग के लिए बैंक और डाकघर जिम्मेदार हैं. अगर ऐसा नहीं होता है तो आपको इनकम टैक्स विभाग से नोटिस आ सकता है. इससे बचने के लिए इन बातों की जानकारी होना जरूरी है.
लेनदेन की देनी होगी जानकारी
नियम के तहत अगर किसी व्यक्ति के एक या इससे ज्यादा खातों में एक वित्त वर्ष में कुल दस लाख रुपए या उससे अधिक की नकदी जमा होती है तो वित्तीय लेनदेन का विवरण होना चाहिए. नकद जमा की जानकारी के लिए बैंकिंग कंपनियों या सहकारी बैंकों के साथ-साथ पोस्ट मास्टर जनरल इसकी सूचना देंगे.
वस्तु या सेवा के लेनदेन की देनी होगी सूचना
वस्तुओं या सेवाओं के लिए 2 लाख रुपए से अधिक के नकद भुगतान या रसीदों की भी सूचना दी जानी चाहिए. इनकम टैक्स की धारा 44एबी के तहत ऑडिट के लिए उत्तरदायी व्यवसाय इन लेनदेन की रिपोर्टिंग के लिए जिम्मेदार हैं. अन्य लेनदेन के साथ ऐसे ट्रांजेक्शन की सूचना संबंधित रिपोर्टिंग व्यक्ति या यूनिट को दी जानी चाहिए.
क्रेडिट कार्ड भुगतान पर भी है नजर
एक वर्ष में 10 लाख से जयादा के क्रेडिट कार्ड भुगतान पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं. बड़े भुगतान बड़े वित्तीय लेनदेन का संकेत दे सकते हैं. इसलिए उचित दस्तावेज और रिपोर्टिंग की आवश्यकता होती है. बैंकिंग कंपनी या सहकारी बैंक ऐसे लेनदेन की जानकारी देते हैं .
रियल एस्टेट सौदे
संपत्ति की खरीद, बिक्री, या ट्रांसफर में 30 लाख रुपए या इससे ज्यादा के सौदे भी अहम होते हैं. इनकी जानकारी न देने पर भी इनकम टैक्स का नोटिस मिल सकता है. ऐसे संपत्ति क सौदों की जानकारी रजिस्ट्रार या उप-रजिस्ट्रार देंगे.