गाड़ी खरीदने पर उसका इंश्योरेंस कराना बहुत जरूरी होता है. इसी के आधार पर गाड़ी के डैमेज होने पर आप क्लेम के लिए दावा कर सकते हैं. इतना ही नहीं बिना इंश्योरेंस के गाड़ी चलाने पर आपको तगड़ा जुर्माना भी भरना पड़ सकता है. ऐसे में इश्योरेंस खरीदते समय सोच-समझ कर फैसला लेना चाहिए. मगर अनजाने में कई लोग बीमा खरीदते समय कुछ गलतियां कर बैठते हैं, जिसका उन्हें आगे खामियाजा भुगतना पड़ता है. तो कौन-सी ऐसी गलतिया हैं जो वाहन बीमा खरीदते समय करने से बचना चाहिए, आइए जानते हैं.
जीरो डेप्रिसिएशन कवर न लेना बहुत से लोग एजेंट या कंपनी की बातों में आपको अक्सर ऐसा वाहन बीमा ले लेते हैं जो सस्ता हो, लेकिन उस दौरान वे जीरो डेप्रिसिएशन कवर नहीं लेते हैं. ऐसे में गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने पर आपको ज्यादातर चीजों का पैसा चुकाना पड़ता है. वहीं अगर आपने जीरो डेप्रिसिएशन वाला कवर लिया होता तो इसमें आपको सिर्फ फाइल चार्ज देना होता है और बाकी सारा खर्चा इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से दिया जाता है.
दूसरी पॉलिसी की तुलना न करना अमूमन लोग गाड़ी का इंश्योरेंस वहीं से करवाते हैं जहां से वे कार खरीदते हैं. उस दौरान कार डीलर या एजेंट उन्हें चुनिंदा कंपनी के ही बीमा लेने की सलाह देते हैं. लोग समय की कमी के चलते एजेंट के कहने पर उस कंपनी का बीमा खरीद लेते हैं. मगर वे दूसरी कंपनियों से उसकी तुलना नहीं करते हैं. ऐसी स्थिति में आपको अलग-अलग कंपनियों के बीमा पर मिलने वाले फायदे के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है. इसलिए इस समस्या से बचने के लिए आपको ऑनलाइन और ऑफलाइन अलग-अलग कंपनियों के इंश्योरेंस की तुलना करनी चाहिए.
जरूरत के हिसाब से बीमा न खरीदना बहुत से लोग अपनी जरूरत के हिसाब से बीमा नहीं खरीदते हैं, जिसकी वजह से आपको कई बार ज्यादा पैसे चुकाने पड़ते हैं. इसलिए आपको कौन-सा इंश्योरेंस कराना है ये तय करना जरूरी है. भारत में दो तरह की इंश्योरेंस पॉलिसी हैं, एक थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस (Third Party Insurance) और दूसरी कॉम्प्रीहेंसिव इंश्योरेंस (Comprehensive Insurance). थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस केवल थर्ड-पार्टी को होने वाले नुकसान की भरपाई करती है. इस पॉलिसी में आपको कोई भी कवरेज नहीं मिलेगा. वहीं, दूसरी तरफ कॉम्प्रीहेंसिव पॉलिसी आपकी कार और थर्ड-पार्टी दोनों ही कवरेज देती है.
क्लेम की प्रक्रिया का पता न होना इंश्योरेंस खरीदने के पीछे का मकसद यह होता है कि डैमेज होने पर नुकसान की भरपाई आसानी से हो जाए, लेकिन अधिकतर लोगों को नुकसान होने पर यह नहीं पता होता कि आखिर क्लेम कैसे लिया जाए? इसलिए पॉलिसी लेते समय बीमा कंपनी से ये सवाल जरूर पूछें कि क्लेम की प्रक्रिया क्या है, क्या इसके लिए अतिरिक्त शुल्क तो नहीं देना होगा, किन दस्तावेजों की जरूरत होगी वैगरह.
क्लेम सेटलमेंट रेशियो को न करें नजरअंदाज जब भी किसी इंश्योरेंस कंपनी की पॉलिसी खरीदें तो इस बात को जरूर चेक कर लें कि जिस भी कंपनी की आप पॉलिसी खरीद रहे हैं उस कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो कितना है. अगर कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो हाई हो, तो इससे क्लेम अप्रूव होने के चांस अच्छे रहते हैं. अगर कंपनी आसानी से दावे का भुगतान नहीं करती है तो ऐसी कंपनी का बीमा लेने से बचना चाहिए.
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