Aadhaar Card: एक समय था जब हम बैंक मैनेजर को जानते थे और बैंक वाला हमें जानता था. पैसा जमा करना हो या जमा, एफडी कराना हो या ड्राफ्ट बनवाना हो, घर जैसा ही रिश्ता था. गांव के डाकघर या बीमा कंपनी के साथ भी ऐसा ही था यानी अगर कुछ गलत हो, खाते में गड़बड़ी हो तो आपस में मिलकर विवाद निपटाया जा सकता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. बैंक के ग्राहकों की संख्या लाखों में है. बैंक की ब्रांच भी अलग अलग शहरों में हैं, उस पर डिजिटल बैंकिंग ने बैंक और ग्राहक का आपसी रिश्ता ही खत्म कर दिया.
डिजिटल बैंकिंग की आमद के साथ धोखाधड़ी के मामले भी बढ़े. इन पर काबू रखने के लिए सरकार केवाईसी की व्यवस्था लेकर आई. केवाईसी का मतलब होता है नो योर कस्टमर, आज ये केवाईसी की व्यवस्था लगभग सभी वित्तीय गतिविधियों के लिए अनिवार्य हो गई है. अब बैंक से लेकर बीमा तक. म्यूचुअल फंड से लेकर ईपीएफओ तक. हर जगह केवाईसी करवाना अनिवार्य होता है. केवाईसी के लिए आपको पहचान का प्रमाण देना पड़ता है, लेकिन यहां झंझट यह है कि हर जगह आपको अलग अलग केवाईसी करवाना पड़ता है. वहीं केवाईसी के लिए दस्तावेज भी अलग अलग होते हैं. सोचिए अगर ऐसा हो कि केवाईसी जमा करने का ये बार-बार का झंझट खत्म हो जाए, तो कैसा हो?
अब ये जल्द ही संभव हो सकता है कि देश में आपको बस एक बार अपनी पहचान साबित करनी पड़े. सरकार आपका डेटा किसी सेंट्रल जगह पर सेव कर ले और आपकी एक ही केवाईसी बैंक अकाउंट खोलने से लेकर बीमा खरीदने, शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड बाजार में इंवेस्ट करने के काम आ जाए. इसके लिए सरकार में ‘यूनिफॉर्म केवाईसी’ या ‘सिंगल केवाईसी’ सिस्टम को लाने पर विचार-विमर्श चल रहा है.
यहां पहले जान लेते हैं कि क्या है यूनिफॉर्म केवाईसी? फाइनेंशियल स्टेबिलिटी एंड डेवलपमेंट काउंसिल यानि FSDC ने कुछ साल पहले प्रस्ताव दिया था कि देश में ऐसी केवाईसी व्यवस्था को डेवलप किया जाए. जिसमें पूरे फाइनेंशियल सेक्टर में एक ही केवाईसी. का अलग-अलग संस्थान आपस में बार-बार इस्तेमाल कर सकें. इससे सिस्टम में पेपरवर्क कम होगा. आम लोगों के लिए आसानी होगी और केवाईसी की प्रोसेस के खर्च और लागत में कटौती आएगी. इस पर वित्त मंत्रालय ने फाइनेंस सेक्रेटरी टी. वी. सोमनाथन की अध्यक्षता में एक एक्सपर्ट कमेटी बना दी है.
हाल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एफएसडीसी की एक बैठक में यूनिफॉर्म केवाईसी लाने का प्रस्ताव किया. इसके तहत केवाईसी प्रोसेस का ज्यादा से ज्यादा डिजिटलाइजेशन किया जाना है. वहीं एक ऐसा सिस्टम बनाना है जहां केवाईसी रिकॉर्ड की इंटर-यूजेबिलिटी सुनिश्चित की जा सके.
अब जानते हैं कि कैसे काम करेगी यूनिफॉर्म केवाईसी? कुछ सेगमेंट में यूनिफॉर्म केवाईसी पहले से काम कर रही है, अगर आप शेयर बाजार में इंवेस्ट करते हैं, तो रजिस्टर्ड ब्रोकर्स के माध्यम से आपकी केवाईसी सीधे मार्केट रेग्युलेटर सेबी से पूरी होती है. ऐसे में अगर आप बार-बार नया निवेश करते हैं तो आपको हर बार अपनी केवाईसी नहीं करवानी पड़ती. आप म्यूचुअल फंड से लेकर अन्य डेरिवेटिव्स में निवेश भी इसी केवाईसी की दम पर कर सकते हैं, लेकिन आपकी यही केवाईसी अन्य फाइनेंशियल काम जैसे बैंक खाता खुलवाने या बीमा खरीदने में काम नहीं आती है . सरकार इसी बैरियर को हटाना चाहती है. साल 2016 में बनी सेंट्रल केवाईसी रिकॉर्ड्स रजिस्ट्री यानि CKYCR ने केवाईसी प्रोसेस को सेंट्रलाइज्ड और आसान बनाया है. लेकिन इसमें अभी इंटर-ऑपरेबिलिटी की कमी है.
यूनिफॉर्म केवाईसी में आपके सारे केवाईसी डॉक्युमेंट बस एक बार जमा होंगे और उसके बाद आपको एक CKYCR आईडेंटिफिकेशन नंबर दे दिया जाएगा. ये 14 डिजिट का एक नंबर होगा. इसके बाद आप फिर दोबारा कभी भी अकाउंट खोलें, बीमा खरीदें या डीमैट अकाउंट बनाएं. आपको पूरी केवाईसी प्रोसेस के बजाय सिर्फ सीकेवाईसीआर नंबर देना होगा.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।