WTO Diary : भारत के किस प्रस्ताव की WTO में सबसे ज्यादा चर्चा?

निवेश को WTO के दायरे में लाने की तैयारियों पर भारतीय पक्ष के तेवर तीखे हैं

WTO Diary : भारत के किस प्रस्ताव की WTO में सबसे ज्यादा चर्चा?

क्‍या दुनिया के देशों को WTO छोडने की छूट मिलनी चाहिए? अबूधाबी की बैठक के गलियारों में यह सवाल तैरने लगा है. वार्ताकार चर्चा कर रहे हैं कि भारत ने जो प्रस्‍ताव दिया है कि अगर किसी देश को वार्ताओं से कुछ नहीं मिला है तो उसे संगठन से निकलने की सुविधा क्‍यों न दी जाए?

भारतीय पक्ष ने खुल कर इस पर कुछ नहीं कहा, मगर अंदरखाने चर्चा है कि निवेश पर चल रही बातचीत में भारत ने आक्रामकता दिखाते हुए ऐसा संकेत दिया है. यह एक बड़ी पहल हो सकती है क्‍यों कि WTO नियमों में बंधे देशों के लिए इससे निकलना आसान नहीं होता.

अबूधाबी की चर्चाओं के केंद्र में भारत है. भारत के हर रुख और पेशबंदी पर सबकी करीब से नज़र है. निवेश को WTO के दायरे में लाने की तैयारियों पर भारतीय पक्ष के तेवर खासे तीखे हैं. बैठकों में कहा गया है कि WTO ट्रेड यानी व्‍यापार का संगठन है, यहां निवेश का क्‍या काम.

वार्ताओं के गलियारों में चर्चा है क‍ि भारत ने एक्‍‍ज‍िट WTO वाली पेशकश इसलिए भी की है क्‍योंकि कई देश निवेश के अलावा पर्यावरण, कार्बन क्रेडिट मह‍िलाओं की व्‍यापार में भागीदारी लघु उद्योग जैसे मुद्दे भी एजेंडे पर लाना चाहते हैं. भारत का कहना है कि यह मुद्दे दूसरे अंतरराष्‍ट्रीय संगठनों के मंच पर चर्चा में है. इन्‍हें व्‍यापार वार्ताओं में लाने की क्‍या जरुरत?

चीन है क‍ि मानता नहीं

2022 की जेनेवा की बैठक में मछल‍ियों पर खासी चखचख हुई थी. मछलियों के चक्‍कर में वार्ता ही डूबने वाली थी. मामला दूर दराज के समुद्रों में मछली पकड़ने पर दी जा रही सब्‍स‍िडी का है. जेनेवा में भारत ने अंतिम क्षणों में विकस‍ित देशों की कुछ सब्‍स‍िडी रोकने और अवैध फ‍िश‍िंग को प्रत‍िबंध‍ित करा लिया था. जिससे जेनेवा बैठक सकारात्‍मतक नतीजे के साथ समाप्‍त हुई

अलबत्‍ता बड़ी सब्‍सि‍डी, कारपोरेट फ‍िश‍िंग, ओवर कैपिसिटी और ओवर फ‍िशिंग को लेकर बडे मतभेद हैं. भारत के साथ पर्यावरणविद भी चाहते हैं समुद्री जीवन के बचाने के लिए अंधाधुध फ‍िश‍िंग रोकी जाए.

अंदरखाने चर्चा है कि इस मेज पर चीन अड़ा हुआ है भारत और चीन यहां आमने सामने हैं चीन दुनिया में फ‍िश‍िंग पर सबसे ज्‍यादा सब्‍स‍िडी देता है. जेनेवा की बैठक में चीन ने कुछ मुद्दों पर सहमति दिखाई थी. अगर चीन का रुख बदला तो फ‍िशिंग पर कुछ बात बन सकती है?

यह इंपोर्ट मुफ्त क्‍यों है भाई ?

यह मोर्चा खुला है कंपनियों और सरकारों के बीच. दुनिया की बड़ी ई कॉमर्स कंपन‍ियां चाहती हैं कि अंतरदेशीय ई-कॉमर्स पर सीमा शुल्‍क न लगाया जाए.

विकस‍ित देशों का समूह इस मामले में इन कंपनियों के साथ है. डब्‍लूटीओ ने ई कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए 1998 में एक फैसला किया था जिसके तहत अंतरदेशीय ई-कॉमर्स पर मार्च 2024 तक ई कॉमर्स पर सीमा शुल्‍क लगाये जाने पर रोक थी.

अब पेशबंदी इस रोक के आगे बढ़ाये जाने की है. भारत और इंडोनेश‍िया मुखर रुप से इसका विरोध कर रहे हैं. वार्ताओं के भीतर मौजूद सूत्र बता रहे हैं इस पर कुछ ले दे कर बात बन सकती है.

Published - February 28, 2024, 04:35 IST