WTO वार्ताओं में माहौल गरमाने लगा है. कृषि सब्सिडी के मुद्दे पर पाले खिंचे हुए हैं. भारत और थाईलैंड बैठक में टकराव सुर्खियों में आ गया. भारत सहित दुनिया के 80 देश चाहते हैं कि उन्हें अनाज भंडार तैयार करने के सब्सिडी पर अनाज खरीदने की छूट दी जाए, लेकिन विकसित और विकासशील देशों का एक पूरा समूह इसके पक्ष में नहीं है.
बात तब बढ़ गई जब कृषि पर चर्चा के दौरान WTO में थाईलैंड के राजदूत ने भारत पर खुला आरोप लगा दिया. थाईलैंड का कहना था कि भारत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के सब्सिडी पर अनाज खरीद कर उसे निर्यात करता है. यह विश्व व्यापार के नियमों के खिलाफ है.
अंदरखाने खबर है कि भारत ने इस बयान के विरोध में थाईलैंड के प्रतिनिधि का बहिष्कार कर दिया. भारतीय पक्ष अब उन बैठकों में हिस्सा नहीं ले रहा है जहां थाईलैंड मौजूदा है.
कृषि सब्सिडी पर अब WTO दो हिस्सों में बंट गया है. सुनते हैं कि थाईलैंड के बयान का अमेरिका कनाडा और आस्ट्रेलिया ने स्वागत किया है. यही देश कृषि के मामले भारत के प्रस्ताव को रोक रहे हैं.
मुद्दा खासा पेचीदा है. विकासशील देश खाद्य सुरक्षा के अपने कुल उत्पादन का अधिकतम 10 फीसदी चावल सब्सिडी पर खरीद सकते हैं, जिससे सस्ते चावल को निर्यात बाजार में जाने से रोका जा सके. WTO वाली बैठक में कृषि पर एक विशेष प्रावधान तय हुआ था जिसके तहत विकासशील देशों रियायत मिली थी कि वह विशेष परिस्थितियों में पीस क्लॉज के तहत निर्धारित सीमा से अधिक खरीद कर सकते हैं. भारत ने इस सुविधा का इस्तेमाल किया है और इसी पर विरोध है.
भारत चाहता है कि इस मामले का स्थायी समाधान मिले ताकि किसानों के हित सुरक्षित रहें. विकसित देश इसमें किसी रियायत पर राजी नहीं है विरोध के स्वर तीखे हैं सहमति की उम्मीद कम ही लग रही है.
वार्ताओं का प्रेशर कुकर
WTO महानिदेशक नगोजी ओकोंजो इवेला की मानें तो WTO वार्तायें एक प्रेशर कुकल में बदल चुकी हैं. अपनी चुटीली टिप्पणियों के लिए मशहूर इवेला ने कहा कि यह अच्छी बात है कि हम प्रेशर कुकर में है क्यों कि वार्ताओं को पकना है मगर प्रेशर कुकर के अपने खतरे भी है देखते हैं क्या होता है.
इवेला WTO बैठक के बिजनेस फोरम पर निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों की बैठक में थीं और नतीजों को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं लगीं. उन्होंने कहा कि हम अपने प्रयासों को लेकर उम्मीद बांधे हुए हैं अलबत्ता सच बात यह है कि वार्ताओं में कई कठिन मुद्दे हैं जिन पर वार्तायें उलझ गईं हैं.
आज वार्ताओं का अंतिम दिन है अगर सहमति की उम्मीद दिखी तो वार्ता को एक दिन बढ़ाया जा सकता है.