WPI: थोक महंगाई पहुंची 8 साल की ऊंचाई पर, मार्च में रही 7.39%

WPI: इससे पहले अक्टूबर 2012 में थोक महंगाई इस ऊंचाई पर थी. तब थोक महंगाई 7.4 फीसदी पर था. पिछले बार के कम बेस की वजह से भी ये बढ़त दिख रही है

Global inflation nearing peak, expected to reach pre-pandemic levels next year: IMF

IMF ने कहा कि मुद्रास्फीति में तेजी, विशेष रूप से उभरते बाजारों में अक्सर शार्प एक्सचेंज रेट डेप्रिसिएशन से जुड़ी होती है.

IMF ने कहा कि मुद्रास्फीति में तेजी, विशेष रूप से उभरते बाजारों में अक्सर शार्प एक्सचेंज रेट डेप्रिसिएशन से जुड़ी होती है.

लगातार तीसरे महीने बढ़त लेकर मार्च में थोक महंगाई दर (Wholesale Price Index) 7.39 फीसदी पर पहुंच गई है जो पिछले 8 साल का उच्चतम स्तर है. मार्च में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स और मेटल के ऊंचे भाव की वजह से ये बढ़त देखने को मिली है. हालांकि पिछले साल मार्च में लॉकडाउन की वजह से थोक महंगाई का बेस कम था क्योंकि रिस्पॉन्स रेट कम था. मार्च 2020 में WPI सिर्फ 0.42 फीसदी पर था जबकि फरवरी में ये 4.17 फीसदी था.

थोक महंगाई में फूड इंडेक्स (WPI Food Index) जो खाने-पीने के सामान की कीमतों का आकलन करता है, उसमें भी बड़ी बढ़त आई है. फरवरी 2021 में ये जहां 3.31 फीसदी था वहीं मार्च 2021 में ये बढ़कर 5.28 फीसदी पर आ गया है. वहीं फूड आर्टिकल की थोक महंगाई 3.24 फीसदी रही क्योंकि इस दौरान दालों, फलों और धान के दाम में बढ़ोतरी हुई है.

वहीं मार्च में दालों की थोक महंगाई 13.14 फीसदी रहीं. लेकिन फलों में महंगाई इससे भी ज्यादा रही है. फल 16.33 फीसदी की दर से महंगे हुए.

वहीं इस WPI में सबसे ज्यादा वेटेज रखने वाले मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स में महंगाई दर फरवरी के 5.81 फीसदी से बढ़कर मार्च में 7.34 फीसदी पर आ गई है. इसमें मोटर व्हीकल, मशीनरी, इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट, मेटल प्रोडक्ट्स, मेटल, रबड़, प्लास्टिक प्रोडक्ट्स, दवाएं, केमिकल प्रोडक्ट्स जैसे सामान की कीमतों में वृद्धि दर्ज की गई है.

इससे पहले अक्टूबर 2012 में थोक महंगाई इस ऊंचाई पर थी. तब WPI 7.4 फीसदी पर था.

फ्यूल और पावर बास्केट की महंगाई मार्च में 10.25 फीसदी पर रही जबकि फरवरी में ये 0.58 फीसदी थी. पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का असर दिखा है.

इससे पहले जारी हुए आंकड़ों में खुदरा महंगाई 4 महीनों की ऊंचाई पर पहुंची है. खुदरा महंगाई मार्च में 5.52 फीसदी पर आई है.

रिजर्व बैंक महंगाई की दरों को ध्यान में रखते हुए मॉनिटरी पॉलिसी के फैसले लेता है. वित्त वर्ष 2021 की पहली MPC में RBI ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया. रिजर्व बैंक ने महंगाई का लक्ष्य 2-6 फीसदी रखा है (4 फीसदी से 2 फीसदी ऊपर या नीचे की रेंज में).

RBI ने जून तिमाही में CPI 5.2 फीसदी रहने का अनुमान जारी किया है.

Published - April 15, 2021, 02:42 IST