World Lion Day: पर्यावरण संतुलन में वन्य जीव और जंगल अहम भूमिका निभाते हैं. जंगल का राजा कहे जाने वाले शेरों के सम्मान में 10 अगस्त को विश्व शेर दिवस मनाया जाता है. भारत में इन दिनों जानवरों की कई प्रजातियों में वृद्धि देखने को मिल रही है. जो विलुप्ति होने की कगार पर पहुंच गई थीं, उनमें भी बढ़ोतरी देखी जा रही है. ऐसी ही प्रजातियों में से एक शेर भी है.
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की रेड लिस्ट के अनुसार, शेर कमजोर प्रजातियां हैं. एक समय भले ही शेर पूरी दुनिया में, खासकर एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व और यूरोप में, स्वतंत्र रूप से घूमते रहे हों, लेकिन आज ऐसा बिल्कुल नहीं है. हाल के सर्वेक्षण को देखें तो इनकी संख्या करीब 30,000 से घटकर 20,000 के लगभग हो गई है. हालांकि, लगातार संरक्षण करने, शिकार पर रोक लगने और विशेष निगरानी से भारत में इनकी संख्या में लगातार बढ़ती जा रही है.
केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका
तेजी से घटती शेरों की संख्या को भारत ने जैसे थामा है, उसमें केंद्र सहित गुजरात सरकार का खास योगदान रहा है. अंतरराष्ट्रीय शेर दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘जब मैं गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा कर रहा था, तो मुझे गिर (राष्ट्रीय उद्यान, गुजरात) को शेरों के लिए सुरक्षित आवास सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने का अवसर मिला. कई पहलें की गईं. स्थानीय समुदायों और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल किया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आवास सुरक्षित हैं और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता रहे.’
सिर्फ गिर में पैदा होते हैं एशियाई शेर
आज के समय में शेर वर्तमान में अफ्रीकी देशों और एक एशियाई देश में मौजूद हैं. भारत में शेर की वंश वृद्धि को लेकर अब तक किए गए प्रयास इसलिए भी सराहनीय हैं क्योंकि एशियाई शेर पूरी दुनिया में सिर्फ गिर राष्ट्रीय उद्यान में पैदा होते हैं. ये भारत में पाई जाने वाली पांच बड़ी बिल्लियों में से एक हैं. अन्य चार रॉयल बंगाल टाइगर, इंडियन लेपर्ड, क्लाउडेड लेपर्ड और स्नो लेपर्ड हैं.
शेरों की संख्या 523 से 674 हो गई
गुजरात के मुख्य वन्यजीव वार्डन द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक, अंतिम जनसंख्या आकलन 2015 में आयोजित किया गया था. इसमें शेरों की संख्या 523 थी, जो 2010 के अनुमान से 27 प्रतिशत अधिक थी. वहीं, पिछले साल जून में आई जनसंख्या आंकलन रिपोर्ट के अनुसार, शेरों की संख्या 674 हो गई है. इसके बाद कहा जा सकता है कि पिछले साल जून में भारत ने एशियाई शेरों की आबादी 28.87 प्रतिशत बढ़ाने में सफलता पाई है. क्षेत्रफल की दृष्टि से भी इनका भ्रमण का दायरा 22,000 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर आज 30,000 वर्ग किलोमीटर हो चुका है.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।