लंबे प्रयासों के बाद भारत को चीन के चावल मार्केट में एंट्री मिली थी और चीन भारत के चावल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया था. लेकिन भारत सरकार के एक कदम से चीन को चावल का एक्सपोर्ट बाजार हाथ से निकल गया है. आखिर क्या है वो कदम और भारत से कितना चावल खरीदने लगा था चीन? समझिये इस स्पेशल स्टोरी में.
दुनियाभर में चावल के सबसे बड़े उत्पादक, सबसे बड़े आयातक और सबसे बड़े कंज्यूमर चीन में भारतीय चावल निर्यातकों को लंबे प्रयास करने पड़े थे. इन प्रयासों का ही असर था कि भारत के चावल खरीदारों में चीन पहले स्थान पर पहुंच गया था. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत ने चीन को 16.32 लाख टन चावल का एक्सपोर्ट किया था जो भारत से किसी एक देश को हुआ सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट है. इससे अगले साल यानी 2022-23 के दौरान भारत से चीन को 15 लाख टन से ज्यादा चावल का निर्यात हुआ. उस साल यह भारत से किसी देश को हुआ दूसरा बड़ा एक्सपोर्ट था. हालांकि उससे पहले के वर्षों में भारत से चीन को चावल एक्सपोर्ट नाममात्र ही था.
वित्त वर्ष 2018-19 में सिर्फ 948 टन और वित्त वर्ष 2019-20 में महज 567 टन चावल का एक्सपोर्ट हो पाया था. इसके बाद सरकार और निर्यातकों ने चीन को चावल सप्लाई को लेकर प्रयास शुरू किए और वित्तवर्ष 2020-21 में एक्सपोर्ट बढ़कर 3.31 लाख टन हुआ.
भारत से चीन को जितना भी चावल एक्सपोर्ट होता था उसका अधिकतर इस्तेमाल वहां पर नूडल्स और वाइन बनाने में होता था. भारत से चीन अधिकतर टूटे चावल का इंपोर्ट करता था लेकिन 2022 के सितंबर में सरकार ने टूटे चावल के एक्सपोर्ट पर पुरी तरह से रोक लगा दी और इसके बाद जुलाई 2023 में सफेद गैर बासमती चावल का निर्यात पूरी तरह से रोक दिया गया. सरकार ने चावल निर्यात पर रोक के ये कदम घरेलू स्तर पर सप्लाई बढ़ाने के लिए उठाए हैं लेकिन इनकी वजह से चीन को चावल का एक्सपोर्ट लगभग खत्म हो गया है.
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान चीन को 70 हजार टन भी चावल एक्सपोर्ट नहीं हो पाया है जबकि वित्तवर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा 15 लाख टन के ऊपर हुआ करता था. चावल निर्यात पर रोक को लेकर सरकार के आदेश का असर सिर्फ चीन को हुए एक्सपोर्ट पर ही नहीं पड़ा बल्कि इसकी वजह से पूरा गैर बासमती चावल का निर्यात टूटा है. वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान देश से 111 लाख टन ही गैर बासमती चावल एक्सपोर्ट हो पाया है जबकि 2022-23 के दौरान यह आंकड़ा 178 लाख टन के करीब था. इस साल मानसून सीजन में सामान्य से ज्यादा बरसात की उम्मीद है और मौसम अनुकूल होने पर हो सकता है इस साल चावल उत्पादन बढ़ जाए लेकिन चीन को चावल एक्सपोर्ट शुरू करने में सरकार को नए सिरे से मशक्कत करनी पड़ सकती है.
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