कोरोना महामारी के चुनिंदा लाभ में कॉरपोरेट इंडिया के लिए कर्मचारियों को भर्ती करने की प्रक्रिया में हुआ बदलाव भी शामिल है. रिमोट वर्किंग के चलते किसी भी जगह पर रह रहे टैलेंट को हायर करना आसान हुआ है. इसका कॉरपोरेट ही नहीं, सामाजिक लिहाज से भी फायदा देखने को मिल रहा है.
कंपनियां अब तक ज्यादातर हायरिंग उसी शहर से करने की कोशिश करती आई हैं, जहां उनका ऑफिस मौजूद है. बड़ी कंपनियां अक्सर बड़े शहरों में होने के कारण रिक्रूटमेंट मुख्य रूप से इन्हीं शहरों तक सीमित रह जाता है. जो कैंडिडेट इन शहर के होते हैं, उन्हें आज तक इसका लाभ मिलता आया है.
महामारी के कीरण चलन में आए रिमोर्ट वर्क से भर्ती के इस अनुचित तरीके को खत्म किया जा सकता है. लॉकडाउन के दौरान कंपनियों को इस बात का एहसास हुआ है कि मेरिट का बहुत महत्व होता है, लोकेशन का नहीं. बहुत सारी कंपनियों ने समझा है कि मेट्रो से हटकर अन्य शहरों में भी टैलेंट की भरमार है, खास तौर पर टियर-2 शहरों में. ये वो शहर या टाउन हैं, जहां बड़ी कंपनियों के ऑफिस मौजूद नहीं हैं.
रिक्रूटमेंट फर्म CIEL HR के सर्वे में पाया गया कि बीते छह महीनों में ऐसे शहरों में हायरिंग पांच प्रतिशत से बढ़कर 35 फीसदी पहुंच गई है, जहां कम से कम 181 कंपनियों के ऑफिस मौजूद नहीं हैं. इस बढ़त पर गौर करने की जरूरत है. इन शहरों में कई होनहार कैंडिडेट मिलेंगे, जो बड़े शहरों की चकाचौंध से दूर बसे हैं.
अगर यह चलन बढ़ता चला गया, तो नौकरियों में प्रतिस्पर्धा पते से हटकर मेरिट की हो जाएगी. इससे न सिर्फ अब तक नजरअंदाज किए गए टैलेंट पूल को खोलने में मदद मिलेगी, बल्कि अनछुए इलाकों में HR की पहुंच बढ़ाकर सबको बराबर मौका दिया जाएगा.