आजकल खाने-पीने से लेकर दवाइयों तक सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध है. लोगों के महज क्लिक पर चीजें उनके घर पहुंच जाती हैं. यही वजह है कि पिछले कुछ समय से ऑनलाइन दवाओं के कारोबार में भी काफी तेजी आई है. ई फॉर्मेसी के जरिए मंगाई गईं दवाएं दुकान से खरीदने की तुलना में काफी सस्ती पड़ती हैं. इसी वजह मेडिकल स्टोर से जुड़े संगठन इस प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं. दिल्ली उच्च न्यायालय ने ई-फार्मेसी के लिए नियम बनाने के लिए करने के लिए मसौदा नियमों पर हितधारकों के साथ परामर्श और विचार-विमर्श के परिणाम के बारे में सूचित करने के लिए केंद्र सरकार को छह सप्ताह का समय दिया है.
उच्च न्यायालय दवाओं की ‘अवैध’ ऑनलाइन बिक्री पर प्रतिबंध लगाने और स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा दवाओं एवं प्रसाधन सामग्री नियमों में और संशोधन करने के लिए प्रकाशित मसौदा नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था. कोर्ट की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि इन मामलों का लंबित रहना केंद्र सरकार द्वारा उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के आड़े नहीं आएगा जो ऑनलाइन फ़ार्मेसी द्वारा लाइसेंस के बिना दवाओं की बिक्री पर रोक लगाने वाले अदालत के 12 दिसंबर, 2018 के अंतरिम आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं.
मेडिकल स्टोर संगठन की मांग
ऑल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) ने कैबिनेट सेक्रेटरी को पत्र लिखकर ऑनलाइन फॉर्मेसीज पर रोक लगाने की मांग की है. संगठन का कहना है कि ऑनलाइन दवा विक्रेता नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और लोगों की जान को जोखिम में डाल रहे हैं. एआईओसीडी देश की करीब साढ़े बारह लाख केमिस्ट और डिस्ट्रिब्यूटर्स का प्रतिनिधत्व करने वाली एक शक्तिशाली संस्था है. एआईओसीडी ने साल 2018 के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि कोर्ट ने कुछ समय पहले एक ई-फॉर्मेसी पर बिना लाइसेंस दवाओं की ऑनलाइन बिक्री में इंजेक्शन बेचने के मसले पर रोक लगाई थी. इसके बावजूद फॉर्मेसी काम करना जारी रखती है. अवैध रूप से संचालित होने वाली ये ई-फार्मेसी 4.5 साल से अधिक समय के बाद भी संचालन में है.
एआईओसीडी ने बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने इन अवैध ई-फार्मेसी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, लेकिन नोटिस जारी होने के बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. अध्यक्ष जे एस शिंदे और महासचिव राजीव सिंघल की ओर से हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि वे साल 2020 में संयुक्त ड्रग कंट्रोलर की ओर से दायर एक हलफनामा भी लाए थे, जिसमें कहा गया था कि “ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 19440 और 1945 के तहत वर्तमान में ऑनलाइन फार्मेसी के लिए अभी तक कोई प्रावधान नहीं है.” पत्र में यह भी कहा गया है कि दवाओं की ऑनलाइन बिक्री का मुद्दा सरकार के विचाराधीन था इसलिए दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार, दवाओं की ऑनलाइन बिक्री को तुरंत बंद किया जाना चाहिए.