रामचरन ने पिछले 6 महीने में बस एक दफा मोबाइल रीचार्ज कराया है. वजह ये है कि 28 दिन वाला उनका रीचार्ज 50 रुपए महंगा हो चुका है. रामचरन जैसों की तादाद लाखों में है.ये मोबाइल रीचार्ज की महंगाई की कहानी है. रामचरन जैसे गरीबों के मन में ये आस जरूर है कि शायद आने वाले वक्त में मोबाइल रीचार्ज के दाम कुछ नीचे आएं और तब फिर से हर महीने रीचार्ज कराया जाए. लेकिन, हकीकत इसके उलट है.
हकीकत ये है कि आने वाले वक्त में मोबाइल टैरिफ यानी मोबाइल पर कॉल करने और डेटा इस्तेमाल की लागत और बढ़ने वाली है. मतलब, मोबाइल रीचार्ज में सस्ते का पुराना दौर बीत चुका है. ये दर्द सिर्फ गरीबों को परेशान नहीं कर रहा. स्टूडेंट्स से लेकर मिडल क्लास भी मोबाइल की महंगाई का तोड़ नहीं ढूंढ पा रहा है. हर काम में डेटा यानी इंटरनेट का इस्तेमाल होना है. 4G के दाम में पहले से तेजी का दौर चल रहा है और आपने भले ही खूब आस के साथ 5G मोबाइल खरीद डाला हो कि तेज स्पीड नेट मिलेगा लेकिन, टेलीकॉम कंपनियां चाहती हैं कि आप महंगे 5G के लिए भी कमर कस लीजिए.
वोडाफोन आइडिया के CEO रविंदर ठक्कर ने कह दिया है कि 5G के दाम 4G के मुकाबले ज्यादा होंगे. मतलब कुछ यूं समझ लीजिए कि आपके मोबाइल में इंटरनेट की स्पीड बढ़े न बढ़े. रीचार्ज और पोस्टपेड के दाम जरूर बढ़ जाएंगे और ऐसा नहीं है कि ये इजाफा एक दफा होकर खत्म हो जाए. साहब, हर महीने-दो महीने में ये महंगाई आपकी जेब को खाती रहेगी.
बात मई की है तब भारती एयरटेल के सीईओ गोपाल विट्ठल ने इस बात का इशारा कर दिया था. उन्होंने कहा था कि कंपनी का अगले 5 साल में 300 रुपए एवरेज रेवेन्यू पर यूजर यानी ARPU पर पहुंचने का टारगेट है. उन्होंने ये भी कहा था कि अगले टैरिफ हाइक के साथ कंपनी 200 APRU के पार निकल जाएगी. ARPU यानी एक यूजर से होने वाली औसत कमाई. टेलीकॉम ऑपरेटर्स ARPU बढ़ाने के जरिए कारोबार संभालने में लगे हैं. ज्यादा ARPU माने ज्यादा मुनाफा.
देश की तीनों बड़ी टेलीकॉम कंपनियां- एयरटेल, जियो और वोडाफोन आइडिया (VI) टैरिफ बढ़ाने की जंग में लगी हुई हैं और ये दौर पिछले 2 साल से जारी है. पिछले साल नवंबर में इन तीनों कंपनियों ने प्रीपेड टैरिफ को 20-25 फीसदी बढ़ा दिया था.
माना जा रहा है कि दिवाली के आसपास टेलीकॉम ऑपरेटर एक दफा फिर टैरिफ हाइक का चक्का घुमा सकते हैं. आपका मोबाइल पर खर्च बढ़ने की एक वजह 5G स्पेक्ट्रम पर कंपनियों का हुआ खर्च भी है. हाल में हुई 5G नीलामी में एयरटेल, VI और जियो ने कुल मिलाकर 1,50,173 करोड़ रुपए का स्पेक्ट्रम खरीदा है. अब ये रकम आपकी ही जेब से वसूली जानी है और वोडाफोन आइडिया ने इसीलिए कहा है कि नियमित अंतराल पर टैरिफ हाइक होते रहेंगे.
खैर, टेलीकॉम ऑपरेटरों के तर्क चाहे जो भी हों एक रिक्शेवाले, मजदूर या एक मिडल क्लास फैमिली के लिए मोबाइल इस्तेमाल करना लगातार महंगा होने वाला है. यानी, आपके फोन में 5G की घंटी बजे न बजे महंगाई की घंटी बार-बार जरूर बजती रहेगी.