वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार घरेलू कंपनियों को विदेशी एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध होने की अनुमति देने पर पुनर्विचार कर सकता है. वित्त मंत्री ने इस बात के संकेत दिए हैं कि सरकार देश में होने वाले विरोध और टैक्स चिंताओं की वजह से रोक लगी योजना को पुनर्जीवित कर सकती है. बता दें कि मौजूदा नियमों के तहत भारतीय कंपनियों को विदेशी एक्सचेंजों पर सीधे सूचीबद्ध होने की अनुमति नहीं है. मौजूदा नियमों के तहत घरेलू कंपनियां सिर्फ डिपॉजिटरी रसीद जैसे उपकरणों के माध्यम से विदेशी एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध हो सकते हैं.
2020 में विदेशी शेयर बाजार में लिस्टिंग की मिली थी अनुमति
गौरतलब है कि भारतीय कंपनियों की प्रत्यक्ष विदेशी लिस्टिंग की अनुमति देने की योजना पहली बार 2020 में घोषित की गई थी, लेकिन टैक्स नुकसान की चिंताओं और सत्तारूढ़ दल के एक गुट के विरोध के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था. इस गुट को विदेशों में सूचीबद्ध घरेलू कंपनियों की भारतीय नियामक की ओर से निगरानी कम होने का डर था.
वित्त मंत्री राजधानी में जी20 की बैठक के बाद द्विपक्षीय वार्ता के बाद ब्रिटिश वित्त मंत्री जेरेमी हंट के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बोल रही थीं. जेरेमी हंट ने कहा कि भारत सरकार ने कहा है कि वह भारतीय कंपनियों को सीधे लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने की अनुमति देने पर विचार करेगी. उन्होंने कहा कि हम भारत की ओर से इसकी पुष्टि करने के लिए काफी खुश हैं.
2020 में रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि भारत सरकार द्वारा विदेशी लिस्टिंग की अनुमति नहीं देने के फैसले के पहले लंदन स्टॉक एक्सचेंज अपनी विदेशी कंपनियों की लिस्टिंग के लिए कई भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों के साथ बातचीत कर रहा था. जुलाई के महीने में भारत सरकार ने कहा था कि वह कंपनियों को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) में रजिस्टर्ड एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध होने की अनुमति देगा, जिससे कंपनियों को आसानी से विदेशी धन तक पहुंच मिल सके. बता दें कि आईएफएससी देश में गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंशियल टेक सिटी (जीआईएफटी) में स्थित एक नया वित्तीय कर तटस्थ केंद्र है.