तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन को संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया के लिए खतरे की घंटी बताया है. संयुक्त राष्ट्र के एक पैनल ने सोमवार को अपनी जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट में कहा कि अगले दो दशकों यानी 20 साल के भीतर पूर्व-औद्योगिक तापमान (pre-industrial temperatures) पर पृथ्वी 1.5 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो सकती है. संयुक्त राष्ट्र के IPCC की रिपोर्ट के मुताबिक समुद्र का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है और हीट वेव यानी लू जैसी हवाओं का समय पहले से ज्यादा बढ़ गया है. तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी 1.5 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाएगी.
वैज्ञानिक 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान में बढ़ोतरी को जलवायु की रेलिंग के टूटने के रूप में देखते हैं, जिससे विनाशकारी तूफान, बारिश, बाढ़ और सूखे के जोखिम की संभावनाएं बढ़ जाती है. यह मानवीय तबाही और बड़े पैमाने पर आर्थिक तबाही को दस्तक देने जैसा है. इस रिपोर्ट में पूरी दुनिया में गलोबल वार्मिंग की वजह से पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु में अब तक जो नुकसान हो चुका है उसकी भरपाई शायद अब सम्भव नहीं है.
ग्लोबल कार्बन बजट (global carbon budget) में बहुत कम योगदान देने के बावजूद, भारत कमजोर देशों में से एक बना हुआ है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम राजीवन ने कहा कि नई रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में निकट भविष्य में गर्मी, लू, भारी बारिश, और सूखे जैसी स्थितियों में और बढ़ोतरी होगी. 1970 के दशक के बाद से हिमालय पर जमने वाली बर्फ में कमी देखी गई है. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में बड़े पैमाने पर नुकसान के साथ ग्लेशियर के पिघलने की संभावना भी है. मॉनसून की बारिश बढ़ने की संभावना के साथ, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि बढ़ते तापमान और बारिश से बादल फटने और पहाड़ दरकने की घटना में वृद्धि हो सकती है, जैसा कि हाल के दिनों में उत्तराखंड में देखा गया है.
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान(Indian Institute of Tropical Meteorology) पुणे के वैज्ञानिक और IPCC के प्रमुख लेखक रॉक्सी कोल ने बताया की जलवायु परिवर्तन ग्लोबल टॉपिक है, लेकिन चुनौतियां हमेशा स्थानीय होती हैं. हमें भारत के हर जिले में जहां खतरे गंभीर हैं और जनसंख्या कई गुना बढ़ रही है वहां पर आपदा-प्रूफ (disaster-proof) की जरूरत है.
195 देशों द्वारा स्वीकृत इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले दशकों में हर क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन बढ़ेगा. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने पर गर्मी की लहरें बढ़ेंगी, लंबे समय तक मौसम गर्म रहेगा, सर्दी कम पड़ेगी. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से 2 डिग्री सेल्सियस तपमान बढ़ने पर गर्मी चरम पर होगी जो कृषि और स्वास्थ्य के लिए काफी खतनाक होगी. 2018 की IPCC की रिपोर्ट में बताया गया था कि 2030-2052 के बीच पृथ्वी के तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी. लेकिन तेजी से बढ़ रही ग्लोबल वार्मिंग के कारण नई रिपोर्ट में बताया गया है कि अब 2030 में ही तापमान में 1.5 डिग्री बढ़ जाएगा.
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